देहरादून। अशासकीय स्कूलों की ऐसी नियुक्तियों की प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है, जिनका 4 जनवरी 2017 तक साक्षात्कार न हुआ हो। साक्षात्कार की प्रक्रिया तक न पहुंचने वाली उससे पहले व उसके बाद जारी की गयी नई भर्ती की सभी विज्ञप्तियां निरस्त कर दी गयी हैं। जबकि इससे पहले साक्षात्कार पूर्ण हो चुके मामलों में कोर्ट के फैसले के अनुसार नियुक्तियां की जा सकती हैं। गत वर्ष प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के पास अशासकीय विद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर घपले होने की शिकायत आयी थी। इसके बाद पांडेय ने अशासकीय विद्यालयों की भर्तियों को निरस्त करने का निर्णय लिया था और कहा था कि अब इन भर्तियों को सरकार अपने स्तर से कराएगी। शिक्षा मंत्री के इस आदेश के बाद ऐसे तमाम अशासकीय स्कूल कोर्ट चले गये थे। स्कूलों की ओर से कोर्ट में दलील दी गयी थी कि भर्ती प्रक्रिया अभी भी सरकार के अफसरों की देखरेख में ही होती है और मुख्य शिक्षा अधिकारी की कमेटी ही उसे फाइनल करती है। इस पर कोर्ट ने भर्ती पर सरकार द्वारा लगायी गयी रोक के आदेश को निरस्त कर दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद प्रक्रिया पूर्ण कर चुके विद्यालयों की भर्ती का रास्ता खुल गया था, लेकिन शिक्षा मंत्री ने अशासकीय विद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया में नयी व्यवस्था बनाने के आदेश दिये थे। अभ्यर्थियों के ऐसे प्रमाण पत्रों को अवैध घोषित करने का आदेश दिया, जो अनुभव के नाम पर अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाकर मेरिट बढ़ाने में काम आते हैं। तब से यह मामला शासन में अटका पड़ा था। इसी क्रम में सचिव शिक्षा डा. भूपिंदर कौर औलख ने ऐसी सभी भर्तियों के लिए जारी विज्ञापनों को निरस्त करने का आदेश दिया है। जिनकी साक्षात्कार की प्रक्रिया 4 जनवरी 2017 तक पूरी नहीं हुई हो। प्रक्रिया पूरी वही मानी जाएगी, जिन्हें साक्षात्कार के बाद नियुक्ति के लिए अनुमोदित किया जा चुका हो। जिन रिक्तियों के सापेक्ष साक्षात्कार नहीं हुए उन्हें निरस्त माना जाएगा। नियुक्ति करने के लिए सिर्फ वही विद्यालय अधिकृत होंगे, जिनके प्रकरण साक्षात्कार करके 4 जनवरी 2017 से पहले मुख्य शिक्षा अधिकारियों अथवा मंडलीय अपर निदेशकों को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत कर दिये गये हों।