अहंकार रूपी कैंसर की है 8 गांठ: मोरारी बापू

उत्तरकाशी। संतकृपा सनातन संस्थान की ओर से गंगोत्री धाम में चल रही मोरारी बापू की मानस गंगोत्री राम कथा के 5वें दिन मोरारी बापू ने अहंकार रूपी कैंसर की आठ गांठ बताई। बापू ने कहा कि कैंसर की पहली गांठ अहंकार स्वयं है। व्यक्ति को किसी भी चीज का अहंकार नहीं करना चाहिए। बापू ने दूसरी गांठ बल बताई। बापू ने कहा कि व्यक्ति को बल का अहंकार नहीं रखना चाहिए। तीसरी गांठ के रूप में बापू ने रूप का अहंकार बताया।
मोरारी बापू ने कहा कि किसी को भी रूप का अहंकार नहीं करना चाहिए। रूप बदल जाता है। लेकिन स्वरूप अजर अमर है। स्वरूप को ढंकने की कोषिष करो तो भी प्रकट हो जाएगा। बापू ने चैथी गांठ धन का अहंकार बताया। बापू ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को धन का अहंकार आए बिना नहीं रहता है। लेकिन जिसने अभाव देखा है उसे पता है कि यह धन प्रभु की कृपा का फल है। बापू ने कहा कि पांचवी गांठ प्रतिष्ठा का अहंकार है। जब तक व्यक्ति के पास पद नहीं होता है तब तक वह सम्मान देता है पद आने के बाद यह कम हो जाता है। छठी गांठ कूूल का अहंकार है। भगवान राम सूर्य कूल से थे। लेकिन उन्होंने इसका कभी अहंकार नहीं किया। रावण के कूल के अहंकार ने उसे राक्षस बना दिया और जबकि राम को उनकी उदारता से सूर्य का भी सूर्य बना देता है। बापू ने सातवीं गांठ धर्म का अहंकार बताया।                                                                                                       
मोरारी बापू ने कहा कि सनातन परम्परा जैसी उदार कोई परम्परा नहीं है। उसका अभिमान नहीं बल्कि आनंद होना चाहिए। इसलिए मेरी व्यास पीठ पर सूफी गायन, कव्वालियां और गजलें भी होती है। सनातन धर्म ने हमको उदारता सिखाई है इसलिए व्यास पीठ इतनी बड़ी है। बापू ने अंतिम गांठ त्याग का अहंकार बताई, बापू ने कहा कि व्यक्ति को त्याग का अहंकार भी नहीं होना चाहिए। कथा का समापन 26 अगस्त को होगा।
बकरीद की दी बधाई
मोरारी बापू ने कहा कि सनातन धर्म सभी को स्वीकार करता है। बापू ने बकरीद के मौके पर मुस्लिम समाज को बकरीद की बधाई दी।
मानस सत्य, प्रेम व करूणा है
मोरारी बापू ने कहा कि इष्ट कभी निष्ट और कटू हो सकता है लेकिन मेरा मानस परम् इष्ट ग्रंथ है। भगवत गीता में एक भी शब्द असत्य नहीं है। कृष्ण सत्य है। कृष्ण की सांस-सांस सत्य है। भागवत में प्रेम है। वाल्मिकी रामायण मेरे लिए करूणा है और रामचरित मानस में सत्य प्रेम और करूणा है। इसलिए मानस परम् इष्ट ग्रंथ है।
बांसुरी और तबला की जुगलबंदी ने किया मंत्रमुग्ध
बुधवार शाम को पाण्डाल में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम हुआ। संतकृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित कार्यक्रम में तबला व बांसुरी की षानदार जुगलबंदी देखने को मिली। प्रसिद्ध बांसूरी वादक निनाद मुलोकर और तबला वादक स्वप्निल बोस की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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