देहरादून। हमारा अहम जितना बलवान होगा, हमारा भावनात्मक स्वास्थ्य उतना ही कमज़ोर होगा। दूसरों से अपेक्षा करने का भी भावनात्मक स्वास्थ्य के साथ सीधा संबंध है। यह कहना है राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन का।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन ने उपस्थित जनसमूह से कहा कि हमारी मन की स्थिति खुद पर निर्भर है। अपेक्षा रखना मतलब जैसा हमने सोचा वही सही है। मान लो हम किसी के सड़क पर कचरा फेंकने से चिढ़ते हैं, पर इस कारण हम अपने मन में कचरा क्यों फेंकें! हमारा सबसे पहला कत्र्तव्य है अपने मन को डिस्टर्ब न करना। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में निर्णय लेना पड़ेगा। क्योंकि ये ज़रुरी नहीं कि जो सभी करते हैं वही सही हो। और इसके लिये हमें किसी की मंज़ूरी या सराहना की ज़रुरत नहीं।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन का कहना था कि यदि हम उन्हें वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे वे हैं, तो वे भी हमें ज़रुर स्वीेकार करेंगे। अतः अपने ही अच्छे भावनात्मक स्वास्थ्य के लिये यह आवश्यक है कि हमारा अहम छोटा होता जाये, दूसरों से अपेक्षा कम होती जाये, हम अपने निर्णय भी लें और उनकी ज़िम्मेवारी भी लें तथा लोगों व परिस्थितियों को स्वीकार करते जायें। अपने मन में कचरा न फेंकें, बल्कि सुगंधित पुष्प सजायें। इस अवसर पर पदमा, प्रियंका, पुष्पा, विजय, राकेश, ममता, सुरेन्द्र, सरोजिनी, उषा, रेणू, विजयलक्ष्मी आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।