देहरादून। आस्तिक जगत में भक्ति का विशेष महत्व है। ज्यादातर लोग कथा-कीर्तन आदि को ही भक्ति मानते हैं। उनका विास है कि भक्ति से खुश होकर भगवान फल देंगे, दर्शन देगें। उक्त उद्गार संत निरंकारी सत्संग भवन (भूमि), हरिद्वार बाईपास रोड में हरियाणा से आए प्रद्युम्न भल्ला ने सतगुरु माता का संदेश देते हुए क्षेत्रीय स्तरीय इंगलिश मीडियम समागम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि भक्ति का आरम्भ ही तब होता है, जब प्रभु को पाकर इसके साथ नाता जोड़ लिया जाता है। अगर हमारे जीवन में कोई आया ही नहीं तो हम प्यार किससे करेंगे, भक्ति किसकी करेगें, बलिहार किस पर जायेंगे, भक्ति के लिए एक पल भी ऐसा नहीं होता, जब यह परमात्मा गैर हाजिर हो। इस प्रभु की गैर हाजिरी एक पल भी नही हो सकती, क्योकि भक्ति में तीनों चीजें जरूरी है। भक्ति, भक्त और भगवान। भाव यह कि भक्त भी जरूरी है। भक्ति भावना भी जरूरी है और जिसकी भक्ति की जा रही है, वह भगवान भी जरूरी है। भक्ति के लिए ज्ञान रूपी उजाले का होना बहुत जरूरी है। ब्रrाज्ञान से भक्ति का आरम्भ होता है। इस अवसर पर जोनल इंचार्ज, हरभजन सिंह, संयोजक कलम सिंह रावत, सेवादल संयोजक मंजीत सिंह, नरेश विरमानी, अमित भट्ट आदि मौजूद रहे।