देहरादून। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के साथ ही कई अन्य मांगों को लेकर उ.रा.प्रा. शिक्षक संघ ने धरना दिया। परेड मैदान में आयोजित इस राज्यस्तरीय धरने में शिक्षकों ने सरकार पर उनकी मांगो को अनदेखा करने का आरोप लगाया।
शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित इस धरना कार्यक्रम में शिक्षक नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2004 से पेंशन बंद करके कन्ट्रीब्यूटरी पेंशन योजना शुरू कर दी है। इस योजना से कर्मचारियों को भारी नुकसान बताते हुए शिक्षक नेताओं ने कहा कि बुढ़ापा अंधकारमय हो गया है। उन्होंने कहा कि छठे वेतन आयोग ने अपनी संस्तुतियों में पेंशन को अधिक महत्वपूर्ण बताया है, लेकिन जब आयोग की रिपोर्ट आयी तो 2004 में पेंशन योजना ही समाप्त कर दी गयी थी। शिक्षक नेताओं ने वर्ष 1982 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के द्वारा दिये गये फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने भी पेंशन को सामाजिक व आर्थिक न्याय बताया था। शिक्षक नेताओं ने शिक्षकों के साथ ही अन्य कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना बहाल करने की पुरजोर मांग की। इसके साथ ही छठे वेतनमान की विसंगतियों को दूर करते हुए सातवें वेतनमान में जरूरी संसोधन करने की मांग की।
साथ ही यह भी मांग की गयी कि सभी राज्य के शिक्षकों को समान वेतन दिया जाए। संगठन ने शिक्षा व शिक्षकों की समस्याओं के निदान के लिए राष्ट्रीय प्रारंभिक शिक्षा आयोग बनाने की मांग को भी दोहराया। धरने को संघ की राज्याध्यक्ष निर्मला महर, महामंत्री दिग्विजय चौहान, राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामसिंह चौहान, महामंत्री डा. सोहन सिंह माजिला, मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट, जूनियर हाईस्कूल संघ के अध्यक्ष सुभाष चौहान व अन्य ने संबोधित किया। धरने में प्राथमिक शिक्षक संघ की सभी जिला इकाइयों के अध्यक्ष, महामंत्री व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।