इस कारण त्रिवेन्द्र सरकार के खिलाफ एकजुट हुए कर्मचारी संगठन

देहरादून। एसीपी और केन्द्र के समान सातवें वेतन भत्ते दिए जाने की मांग को लेकर प्रदेश के कर्मचारी संगठन एकजुट हो गये हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उत्तराखण्ड कार्मिक शिक्षक आउटसोर्स कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा का गठन कर दिया गया है। विभिन्न संगठनों के 17 अध्यक्षों का एक संयोजक मंडल बनाया है। ठाकुर प्रह्लाद सिंह को मुख्य संयोजक बनाया गया है। राज्य कर्मचारी लंबे समय से 10,16, 26 साल की सेवा पूर्ण होने पर पदोन्नति वेतनमान की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कांग्रेस सरकार के समय यह पदोन्नति वेतनमान 10, 20, 30 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर कर दिया गया था। कर्मचारी संगठनों का तर्क था कि सरकारी नौकरी में 42 साल की आयु सीमा होने पर कोई भी कर्मचारी 30 साल की सेवा पूरी नहीं कर सकता है। ऐसे में इसका कोई औचित्य नहीं है और पूर्व की व्यवस्था को ही लागू किया जाए। इस बाबत कर्मचारी संगठनों की कई बार शासन स्तर पर वार्ताएं हुई। लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। सातवें वेतनमान को लेकर घोषित भत्ते अभी तक राज्य कर्मचारियों को नहीं मिले हैं। सरकार के अड़ियल रुख और शासन में बैठे अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते कर्मचारी संगठनों ने इस मांग को लेकर अब संयुक्त मोर्चा बना कर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।
मंगलवार को संघ भवन में हुई बैठक में सचिवालय संगठन सहित 18 विभिन्न संगठनों का उत्तराखण्ड कार्मिक शिक्षक आउट सोर्स कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा गठित किया गया, जिसमें 17 सदस्यीय संयोजक मण्डल का गठन किया गया है। बैठक में निर्णय लिया गया कि मोर्चा तीन दिन के अंदर मांगों का ड्राफ्ट तैयार करेगा। इसके बाद सीएम व मुख्य सचिव से मुलाकात कर मांगों पर बात करेगा। यदि कर्मचारियों की मांगों पर सरकार की तरफ से सकारात्मक पहल नहीं होती है तो आंदोलन की घोषणा कर दी जाएगी।
ये हैं प्रमुख संगठन
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, माध्यमिक शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, डिप्लोमा इंजीनियर्स, वाहन चालक संघ, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी महासंघ, सचिवालय संगठन, वन कर्मचारी महासंघ, कृषि कर्मचारी संघ, बिजली कर्मचारी संघ, रोडवेज कर्मचारी यूनियन, उपनल कर्मचारी संघ, संविदा कर्मचारी संघ।

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