देहरादून। ड्रेस कोड, शिक्षा की गुणवत्ता सहित अन्य मुद्दो को लेकर शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे की नाराजगी आखिरकार खुलकर सामने आ ही गयी। दून में मौजूदगी के बावजूद शिक्षा मंत्री ने राजकीय शिक्षक संघ के अधिवेशन से दूरी बनाये रखी। हालांकि सीएम ने अधिवेशन में शिरकत की। शिक्षा मंत्री के इस रुख से संघ और अधिवेशन में मौजूद तमाम शिक्षक सकते में हैं।
विदित हो कि पिछले दिनों शिक्षा महकमे में ड्रेस कोड लागू करने को लेकर विभागीय उच्चाधिकारियों से लेकर स्वयं शिक्षा मंत्री द्वारा शिक्षको के विभिन्न संगठनो के साथ वार्ता की गयी, लेकिन इस दिशा में सफलता मिलने के स्थान पर शिक्षक संगठनों की ओर से मांगो का पुलिंदा थमा दिया गया। ड्रेस कोड की व्यवस्था अब तक लागू न होने से शिक्षा मंत्री और शिक्षक संगठनों के बीच युद्ध सा चल रहा है, जो अब राजकीय शिक्षक संघ के अधिवेशन के मौके पर खुलकर सामने आ गया। बताया जाता है कि संघ के अधिवेशन से पहले पदाधिकारियों ने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के दर पर दस्तक देकर बकायदा न्योता भी दिया, लेकिन पुत्र के विवाह की तैयारियों का हवाला देते हुए मंत्री ने अधिवेशन से किनारा करना ही उचित समझा। दून में मौजूदगी और सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ तकरीबन आधा घंटा मुलाकात करने के बावजूद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे संघ के अधिवेशन में नहीं पहुंचे।
इस बाबत संपर्क करने पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की नाराजगी खुलकर सामने आ गई। उन्होंने कहा कि ड्रेस कोड लागू करने पर तमाम कोशिशों के बावजूद शिक्षक राजी नहीं हुए। उन्होंने शिक्षकों से समय पर विद्यालयों में जाने और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सहयोग मांगा। शिक्षा मंत्री के मुताबिक उन्हें यह सहयोग नहीं मिला। नतीजतन उन्होंने अधिवेशन में नहीं जाना ही मुनासिब समझा। शिक्षा मंत्री के इस रुख से संघ और अधिवेशन में मौजूद तमाम शिक्षक सकते में हैं। इसे लेकर भविष्य में शिक्षकों और मंत्री के बीच खींचतान और बढ़ सकती है। शिक्षकों को हर मुमकिन सहयोग देने और उनकी जायज मांगों का समर्थन करने वाले शिक्षा मंत्री के इस बदले रुख के कई मायने भी तलाश किए जा रहे हैं।