कैग की रिपोर्ट में नमामि गंगे परियोजना पर सवाल
देहरादून। जी हां यह सच है, तमाम कोशियों के बावजूद उत्तराखंड में 64 नाले गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं। यह हम नहीं कर रहे है, बल्कि इसका खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में किया गया है। कैग ने गंगा की सफाई के केंद्र सरकार के नमामि गंगे परियोजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक हरिद्वार और ऋषिकेश में ही 54.2 मिलियन लीटर सीवर का पानी हर दिन गंगा में गिर रहा है। कैग ने कहा है कि 2015 से 2016 तक 180 उद्योगों को नोटिस दिए गए। दिसंबर 2015 से मई 2017 तक 109 नोटिस वापस लिए गए। लेकिन 109 में से 67 औद्योगिक इकाइयों ने ही उत्तराखंड प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड के आदेशों का पालन किया मगर अधिकतर औद्योगिक इकाइयों ने तो न तो अनुपालन रिपोर्ट दी न तय समय पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंतण्रबोर्ड को जांच के लिए बुलाया। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक अलकनंदा व भागीरथी में 111 नालों से 56.871 एमएलडी सीवर गिर रहा था। इनमें से केवल 30.579 एमएलडी सीवर गिराने वाले 47 नालों को ही टैप किया गया। इस तरह से 26.292 एमएलडी गंदा पानी आज भी बिना ट्रीटमेंट के अलकनंदा व भागीरथी में गिर रहा है।
कैग ने अपनी यह राय तब दी है जब उसने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को दिए गए निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा की। रिपोर्ट में कहा गया है कि हरिद्वार व ऋषिकेश में आज भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण चल रहा है। जिस कारण दोनो शहरों में 44.2 व 10 एमएलडी यानी कुल 54.2 मिलियन लीटर सीवर रोजाना सीधे बिना उपचार के गंगा में गिर रहा है। रिपोर्ट के मुताबित हरिद्वार स्थित बीएचईएल ने बार-बार निर्देश के बावूज सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया है। नमामि गंगे परियोजना निदेशक राघव लांगर का कहना है कि राज्य सरकार ने हाल में ही नए एसटीपी की स्थापना के लिए धनराशि जारी की है। उम्मीद है कि एसटीपी को मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है अगले साल दिसंबर तक ये एसटीपी काम करना शुरू कर देंगे।