देहरादून। गैर सैनिक परिवारों से जुड़े लोगों की नियुक्ति को लेकर चर्चाओं में रहने वाला उपनल ( उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि.) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कुछ ऐसी नियुक्तियां की गयी, जिसे पूरी तरह से नियम विरूद्ध करार दिया जा रहा है। मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते अधिकारी स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से बच रहे है।
गैर सैनिक परिवारों से जुड़े लोगों की नियुक्ति को लेकर चर्चाओं में रहने वाला उपनल एक बार फिर सुर्खियों में है। मीडिया में चल रही खबरों पर यदि विश्वास किया जाए तो उपनल से विधानसभा अध्यक्ष के बेटे को नियम विरुद्ध तरीके से नौकरी दी गई है। उन्हें जल संस्थान में सहायक अभियंता के पद पर तैनाती मिली है। खबरों के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष के बेटे की जल संस्थान के पित्थूवाला जोन में सहायक अभियंता के पद पर तैनाती के बाबत पित्थूवाला जोन के अधिशासी अभियंता नमित रमोला की ओर से बीती 28 फरवरी को आदेश जारी किए गए। उक्त आदेश में पीयूष का कार्यकाल 31 मार्च 2019 तक होने की बात भी लिखी गई है।
खबरों के मुताबिक बेहद गुपचुप तरीके से विधानसभा अध्यक्ष के बेटे की उपनल के जरिए जल संस्थान में आउटसोर्स भर्ती की गई है। इसी के साथ जल संस्थान देवप्रयाग में सहायक अभियंता के पद पर और रायपुर में भी नियुक्ति के कार्य को मूर्तरूप दिया गया है। बताते हैं कि यहां पर भी नियुक्त होने वालों का सेना से कोई वास्ता नहीं है। चर्चा यह भी है कि इन सभी नियुक्तियों के पूर्व न साक्षात्कार हुए और ना ही वरीयता सूची बनाई गई। गैर सैनिक परिवारों से जुड़े लोगों की नियुक्ति किये जाने का मामला सामने आने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे है, जिनका जवाब फिलहाल कोई भी देता नजर नहीं आ रहा है।
इन नियुक्तियों के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि गैर सैनिक परिवारों से जुड़े लोगों की नियुक्ति पर रोक के बावजूद ऐसा कैसे संभव हुआ? नियमों की अनदेखी क्यों की गई? मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते उपनल और जल संस्थान के अफसर जानकारी होने से ही इंकार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार में उपनल से मनमाने तरीके से भर्तियां की गईं। मामला चर्चा में आने के बाद वर्ष-2016 में शासनादेश जारी कर सरकार ने गैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों की उपनल के माध्यम से भर्ती पर रोक लगा दी थी।