देहरादून। आने वाले दिनों में उत्तराखंड के अंदर अब तक संचालित हो रहे दो हजार से अधिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल इतिहास बन जाएंगे। इन स्कूलों के इतिहास बनने के पीछे इनमें दस से कम छात्र संख्या का होना है। इन स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी कर दिये गये है।
प्रदेश में सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या में हर साल गिरावट दर्ज की जा रही है। राज्य गठन के बाद से अब तक सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या घटकर 50 फीसद से कम रह गई है। घटती छात्र संख्या ने तकरीबन 2400 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंदी के कगार पर पहुंचा दिया है। दस या इससे कम छात्र संख्या वाले ऐसे विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में मिलाने के आदेश विद्यालयी शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट ने जारी कर दिये है। उन्होंने निदेशालय स्तर से विद्यालयों के विलीनीकरण की कार्यवाही को प्राथमिकता के आधार पर करने के निर्देश दिए हैं। उधर उक्त विद्यालयों को विलीन करने से उनमें कार्यरत करीब पांच हजार शिक्षकों को भी झटका लगना तय है। इन सरप्लस शिक्षकों को भी नजदीकी विद्यालयों में रिक्त पदों पर समायोजित किया जाएगा।