उत्तराखंड के विकास के लिए हाइड्रो प्रोजेक्ट जरूरी : सीएम

नई दिल्ली/देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को नई दिल्ली में लम्बित जल विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में केन्द्रीय जल संसाधन विकास मंत्री नितिन गडकरी के साथ विस्तार से र्चचा की। उन्होंने कहा कि राज्य के हित में गंगा व भागीरथी बेसिन के इतर भी हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने की जरूरत है। गडकरी ने प्रधानमंत्री से इस मामले पर बात करने का भरोसा दिया। बैठक में मुख्यमंत्री ने गडकरी को अवगत कराया कि राज्य में जल विद्युत उत्पादन का सबसे बड़ा सम्भाव्य स्रेत है। राज्य में उपलब्ध जल स्रेतों से करीब 25000 मेगावाट विद्युत उत्पादन संभावित है। राज्य सरकार ने पर्यावरणीय दृष्टिकोण एवं सतत् विकास के परिप्रेक्ष्य से लगभग 17000 मेगावॉट विद्युत दोहन के लिए चिह्नित किया गया है। वर्तमान मे 4000 मेगावॉट क्षमता का ही दोहन हो सका है। राज्य में विद्युत की मांग लगभग 13,000 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष है, जिसमें प्रतिवर्ष 5 से 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। मांग की लगभग 35 प्रतिशत की आपूत्तर्ि यूजेवीएनएल द्वारा पूर्ण की जाती है, 40 प्रतिशत केन्द्रीय पूल तथा शेष 25 प्रतिशत निजी स्रेतों से विद्युत क्रय कर आपूत्तर्ि की जाती है। अलकनंदा एवं भागीरथी नदी घाटी में कुल 70 परियोजनाएं हैं, जिनमें से 19 परियोजनाएं परिचालनरत हैं तथा शेष परियोजनाएं निर्माणाधीन/विकासाधीन हैं। उन्होंने बताया कि लम्बित जल विद्युत परियोजनाओं के संबंध मे वार्ता सकारात्मक रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जल विद्युत परियोजनाओं में से एक बड़ा हिस्सा ऐसे क्षेत्रों का है जिसे ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इस पर भी बैठक में र्चचा की गई कि कैसे उन क्षेत्रों में योजनाओं के क्रियान्वयन से बिजली उत्पादन किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य की लखवाड़ जैसी जल विद्युत परियोजनाओं पर पूरी तरह से सहमति बन गई है। जल्दी इसके लिए शीघ्र टेंडर जारी किए जाएंगे और योजना पर कार्य शुरू हो जाएगा। एनजीटी और अन्य मुद्दों को लेकर पर्यावरण के जानकारों से पहले भी बैठक हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों पर कहा कि भागीरथी व गंगा बेसिन से इतर अन्य नदियों में लम्बित जल विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन तथा लम्बित जल विद्युत परियोजनाओं को आरम्भ किया जाना राज्य हित में जरूरी है। राज्य की विपरीत भौगोलिक स्थिति तथा वनावरण की अधिकता के कारण सीमित संसाधनों के दृष्टिगत उत्तराखंड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं को पुन: प्रारम्भ किया जाना भी राज्यहित में जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि हम छोटी-छोटी जलविद्युत परियोजनाओं के जरिए अपनी विद्युत क्षमता को बढ़ाने का निरन्तर प्रयास कर रहे हैं। गडकरी ने राज्य हित से जुड़ी योजनाओं के संबंध में आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया है। 

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