देहरादून। उत्तराखंड के बेरोजगारों को एक बड़ा झटका लगने वाला है। प्रदेश के 8 सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के अधिकारियों-कर्मचारियों को 7वां वेतनमान देना प्रदेश के बेरोजगारों पर भारी पड़ने वाला है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने इन संस्थाओं में सीधी भर्ती के रिक्त 2942 पदों को फ्रीज करते हुए भर्ती व चयन की कार्यवाही पर रोक लगाने का फैसला लिया है। इसके साथ ही जलसंस्थान के 350 पद भी खत्म करने का इरादा है।
वैसे हाई पावर कमेटी ने यह भी फैसला लिया है कि अगर परियोजनाओं के संचालन के लिए कार्मिकों की जरूरत हो तो जिन पदों पर चयन की कार्यवाही चल रही है, ऐसे पदों पर भर्ती के लिए शासन से इजाजत लेते हुए आवश्यक पदों पर ही भर्ती की कार्यवाही की जाए और जिन पदों पर आउटसोर्स से तैनाती के जरिए काम चल रहा है, वहां शासनादेशों के मुताबिक नियत मानदेय का ही भुगतान किया जाए। विगत 22 सितंबर को राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं को सातवें वेतन मान को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी की बैठक के कार्यवृत्त से यह खुलासा हुआ है। बता दें कि अकेले उत्तराखंड परिवहन निगम में सृजित 6397 पदों के सापेक्ष 2511 रिक्त हैं। इसी तरह उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन परिषद में सृजित 652 पदों के सापेक्ष 174 पद रिक्त हैं। ब्रिडकुल में कुल स्वीकृत 180 पदों में से 73, उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण निगम तथा वक्फ विकास निगम में कुल 11 में से तीन, उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में 41 में से 23, केएमवीएन में 673 के सापेक्ष 61, जीएमवीएन में 1136 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 97 पद रिक्त हैं। ऐसे में 2942 पद फ्रीज हो जाने की आशंका है। पद फ्रीज करने के पीछे इन सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं की वित्तीय स्थिति को कारण बनाया गया है। वैसे बता दें कि आज यानी बृहस्पतिवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में आठ निगमों, बोडरे के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने पर फैसला हो सकता है।