देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। चमकी बुखार को लेकर उत्तराखंड में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है। इस बीमारी से बिहार में अब तक सौ से अधिक बच्चों की मौत को दृष्टिगत रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी सभी जनपदों के जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्साधिकारियों को एहतियात बरतने के निर्देश दिये हैं। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इस बावत सचिवालय में समीक्षा बैठक व वीडियो कांफ्रेंसिंग कर सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों से सीधी वार्ता की।
उन्होंने इस प्रकार की संभावित बीमारी के बारे में सभी प्रकार के एहतियात बरतने व निगरानी रखने के निर्देश स्वास्य विभाग के अधिकारियों को दिये हैं। मुख्य सचिव ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वह जल संस्थान के माध्यम से स्वच्छ व साफ पेयजल की निरंतर आपूत्तर्ि सुनिश्चित करायें। ताकि राज्य में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के अतिरिक्त अन्य जल जनित व वैक्टर जनित बीमारियां उत्पन न हो सके। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये हैं कि वह नगर निगम व नगर पालिका के माध्यम से साफ.सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करायें। हर अंतराल बाद स्वच्छता अभियान चलाकर कूड़े का समुचित निस्तारण किया जाए। बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति बनाने के निर्देश भी उन्होंने संबंधित अधिकारियों को दिये हैं।
इस दौरान सचिव स्वास्य नितेश कुमार झा ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम जैसी परिस्थितियां नहीं हैं। किसी भी जगह से इस तरह की बीमारी के लक्षण नहीं मिले हैं। बीमारी से बचाव की तैयारियों व निरोधात्मक कार्यवाही के लिए सभी जनपदों को हेल्थ एडवाइजरी जारी करने के निर्देश स्वास्य महानिदेशक को दिये गये हैं। राष्ट्रीय स्वास्य मिशन के मिशन निदेशक व अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के साथ ही एच1एन1 इंफ्लूएंजा ;स्वाइन फ्लूद्ध से बचाव की पूर्ण तैयारियां की जा चुकी हैं। जनपद स्तर पर जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्साधिकारियों को किसी भी प्रकार के संभावित रोगों पर आवश्यक निगरानी रखने के लिए कहा गया है। ताकि विषम परिस्थितियों में समय रहते हुए इस प्रकार की बीमारियों पर नियंतण्रकिया जा सके। बैठक में सचिव वित्त अमित नेगी, स्वास्य महानिदेशक डा. रविन्द्र थपलियाल, निदेशक डा. आरके पांडे, डा. अमिता उप्रेती, अपर निदेशक एसपीएस नेगी, संचारी रोग नियंतण्र कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डा. पंकज कुमार उपस्थित थे।
एक तरह का दिमागी बुखार होता है चमकी
एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार दरअसल एक तरह का दिमागी बुखार होता है। इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से एक से 10 साल के बीच की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में लोग इसको चमकी बुखार कहते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इस संक्रमण से ग्रस्त मरीज का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क व शरीर में ऐठन शुरू हो जाती। आम भाषा में इसी ऐठन को चमकी कहा जाता है। मनुष्य के मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं व तंत्रिकाएं होती हैं, जिसकी वजह से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। लेकिन जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है तो उस स्थिति को एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी के वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर अपना प्रजनन शुरू कर देते हैं। शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ने पर ये खून के साथ मिलकर व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन पैदा कर देते हैं जिसकी वजह से शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम खराब हो जाता है।
चमकी बुखार के लक्षण
अचानक तेज बुखार आना।
हाथ-पैर में ऐंठन होना।
शरीर का कांपना।
बच्चे का बेहोश होना।
शरीर पर चकत्ते निकलना।
शुगर कम होना।
बचाव के उपाय
बच्चे को खाली पेट लीची न खिलाएं।
धूप से दूर रखें।
अधिक से अधिक पानी व अन्य पेय पदार्थ का सेवन करें।
मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
रात को भोजन के बाद मीठा खिलाएं।
सड़े-गले फल न खिलाएं।
पूरे बदन में कपड़े पहनायें।