उत्तराखंड: शिक्षको को मिल सकती है राहत

विशिष्ट बीटीसी को मिलेगी मान्यता
नई दिल्ली/देहरादून। वित्त मंत्री प्रकाश पंत के दावे को सही माना जाए तो उत्तराखंड में भी विशिष्ट बीटीसी को जल्द मान्यता मिल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश के हजारों आंदोलित शिक्षकों के साथ ही प्रदेश सरकार को राहत मिल सकेगी।
बुधवार को वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर से मुलाकात कर पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश में एनसीटीई द्वारा विशिष्ट बीटीसी को प्रदान की गई मान्यता के अनुरूप ही उत्तराखण्ड राज्य के लिए भी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। केन्द्रीय मंत्री ने एनसीटीई के अधिकारियों को बुलाकर उन्हें निर्देश दिये कि जिस प्रकार से प्राथमिक शिक्षकों को उत्तर प्रदेश में मान्यता/छूट दी गई है, उसी तर्ज पर उत्तराखण्ड को भी मान्यता/छूट देने के लिए कार्यवाही की जाए।श्री पंत ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री को बताया कि राज्य में 14 हजार से अधिक विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक हैं, जिन्हें एनसीटीई की मान्यता न मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें ब्रिज कोर्स के लिए राष्ट्रीय मुक्त विविद्यालय की बेबसाइट 15 दिसम्बर के बाद बंद कर दिये जाने से उत्पन्न होने वाली समस्या भी एक है जबकि अधिकांश शिक्षकों द्वारा उक्त कोर्स के लिए आवेदन नहीं किया जा सका है।
श्री पंत ने इस बात को खास तौर पर रेखांकित किया कि राज्य गठन होने के बाद भी पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश में लागू प्राविधानों के अनुसार ही उत्तराखण्ड में भी शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता रहा है। अत: पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश में एनसीटीई द्वारा प्रदान की गई मान्यता के अनुरूप ही उत्तराखण्ड राज्य के लिए भी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। केन्द्रीय मंत्री ने एनसीटीई के अफसरों को बुलाकर उन्हें निर्देश दिये कि जिस प्रकार से प्राथमिक शिक्षकों को उत्तर प्रदेश में मान्यता दी गई है, उसी तर्ज पर उत्तराखण्ड को भी मान्यता देने हेतु कार्यवाही की जाए।
पन्त ने केन्द्रीय मंत्री जावड़ेकर को राज्य में शिक्षा के विकास के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड में सर्वशिक्षा अभियान, रमसा, मिड-डे मील, सेन्ट्रली स्पॉर्न्‍सड स्कीम ऑफ टीचर एजुकेशन के लिए कुल स्वीकृत धनराशि 2016-2017 की 41065.21 लाख व 2017-18 के लिए 65172.60 लाख रुपये में से अवशेष धनराशि 102548.63 लाख अभी तक अवमुक्त नहीं हुई है। लिहाजा इसे शीघ्र अवुमक्त किया जाए।

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