देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संगठन विजय सारस्वत ने उत्तराखण्ड के विश्व प्रसिद्ध चार धामों को श्राइन बोर्ड के हवाले करने के निर्णय को निन्दनीय एवं सनातन धर्म के विपरीत बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह निर्णय लेकर तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों पर हस्तक्षेप का काम किया है तथा बिना तीर्थ पुरोहित व राज्य की सम्मानित जनता की सहमति के चारधामों के लिए वैष्णो देवी की भांति श्राइन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया जो कि सीधे-सीधे लोगों के धार्मिक स्थलों पर सरकार का कब्जा करने की कोशिश मात्र है।
कांग्रेस महामंत्री विजय सारस्वत ने कहा कि डबल इंजन सरकार पिछले ढाई साल में विकास के स्थान पर धार्मिक स्थानों पर कब्जा करने व राज्यवासियों को पलायन व बेरोजगारी देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में चारों धामों के तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधाओं का नितांत अभाव रहा है, सरकार को चाहिए कि अपने राज्य के बजट से यात्रियों को सुविधायें उपलब्ध कराये न कि श्राइन बोर्ड के नाम पर कब्जे की कोशिश करे। उन्होंने कहा कि स्वयं चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री शिव प्रसाद ममगाई भी सरकार के इस निर्णय से इत्तेफाक नहीं रखते है। उन्होंने यह भी कहा कि लगातार कर्ज के बोझ से दब रही सरकार अब लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड कर धार्मिक स्थलों की कमाई से अपने बेलगाम खर्चे पूरा करने की कोशिश कर रही है।
विजय सारस्वत ने कहा कि इसी हिमालय और गंगा की गोद में ऋषि मुनियों ने वेदों और पुराणों की ऋचायें लिखी हैं। उत्तराखण्ड की हजारों वर्षं पुरानी सनातन पूजा पद्धति एवं परम्पराओं में बदलाव धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ बड़े नेता जो कई धार्मिक संस्थाओं का संचालन करते हैं श्राइन बोर्ड की आड में देवभूमि के धार्मिक स्थलों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।