देहरादून। कार्यमंत्रणा समिति और विधानमंडल दल के नेताओं की बैठक का बहिष्कार कर विपक्ष ने अपने तेवरों का इजहार कर दिया है। इससे सरकार के माथे पर बल पड़ना लाजमी है।
गैरसैंण में आगामी 7 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के संबंध में वृहस्पतिवार को विधानसभा में कार्यमंत्रणा समिति व विधानमंडल दल के नेताओं की बैठक आयोजित की गई थी। विधानसभा में एकमात्र विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से इन दोनों बैठकों का बहिष्कार कर दिया गया। इसके चलते कार्यमंत्रणा समिति की बैठक नहीं हो पाई। हालांकि विधानमंडल दल के नेताओं की बैठक में भी विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश नहीं पहुंची। इसके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में विधानमंडल दल के नेताओं की बैठक हुई जिसमें केवल भाजपा की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत और विधायक खजान दास शामिल हुए और कई मुद्दों पर र्चचा की गयी।
विधान मंडल दल के नेताओं की बैठक में सदन के कार्यसंचालन के संबंध में र्चचा के साथ विवादाग्रस्त और परेशानी वाले मुद्दों से निपटने के लिए अंतर दलीय मंच की स्थापना पर विचार किया गया जो कि अनौपचारिक रूप से कार्य करेगा और सदन के बेहतर कार्य निष्पादन में सहायक होगा। बैठक में सत्र के दौरान विधानसभा पटल पर रखे जाने की व्यवस्था के क्रम में ग्रीन इनिशिएटिव के लिए पुस्तक आकार के सापेक्ष पेन ड्राइव में प्रतिवेदन को उपलब्ध कराने के अनुरोध पर विचार किया गया। संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि कार्यमंतण्रा समिति की बैठक अब छह दिसंबर को गैरसैंण में होगी।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवल के मुताबिक अभी तक कुल 1010 सभी प्रकार के प्रश्न प्राप्त होने के साथ ही 159 याचिकाएं मिल चुकी हैं। वर्तमान सत्र के सदन पर रखे जाने वाली पत्रावली जिसमें उत्तराखंड दुकान और स्थापन विधेयक 2017, उत्तराखंड नगर निगम अधिनियम, 1959 (संशोधन) अध्यादेश 2017, उत्तराखंड वन विकास निगम के प्रतिवेदन, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के विनियमनों का संकलन, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 के लेखा विवरण एवं वार्षिक रिपोर्ट मिली है। विधानमंडल दल के नेताओं की बैठक में विधायी एवं संसदीय कार्य के प्रमुख सचिव आलोक कुमार वर्मा, विधान सभा सचिव जगदीश चंद एवं विधान सभा सचिवालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि जल्द ही विपक्ष को मना लिया जाएगा जबकि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश सत्ता पक्ष के माफी मांगे जाने तक झुकने को तैयार नहीं है।