देहरादून। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि क्षमा भाव आत्मबल और बुध्दिमत्ता की निशानी है। क्षमा करने के लिए रहम या दया का गुण भी आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि क्षमाशील बनना विवेकवान व्यक्ति की पहचान है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित रविवारीय सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि भगवान सर्व समर्थ होने के साथ-साथ दया के सागर भी हैं जंो हमारी भूलों को क्षमा कर देते हैं। क्षमा करो और भूल जाओ, यह महान कार्य महापुरूषों ने करके दिखाया है। उनका कहना था कि क्षमा माँगना और क्षमा करना दोनों महान गुण हैं जो मनुष्य के मन को हल्का कर उसे सुखी बनाते हैं। क्षमा माँग कर या क्षमा दान कर हम किसी पर कोई एहसान नहीं करते बल्कि अपने मन को सुख-चैन देते हैं।
बहन जी ने कहा कि क्षमाशील बनना विवेकवान व्यक्ति की पहचान है। सभी कार्य क्षमा से ही सिध्द होते हैं, इससे सारे संसार को वश में किया जा सकता है। जो क्षमा करता है वही बड़ा कहा जाता है अर्थात त्रुटि करना मानवीय है क्षमा करना दैवीगुण । जो इन्सान बदला लेने की क्षमता रखने के बाबजूद दूसरों को माफ कर देते हैं वही ईश्वर के नजदीक होते हैं। कहते हैं भूल होना प्राकृति है, मान लेना संस्कृति है और सुधार लेना प्रगति है। क्षमा माँगने से अहंकार टूटता है और शान्ति का अनुभव होता है लेकिन क्षमा दिल से माँगी जानी चाहिए तथा गलती का सुधार कर लेना चाहिए। बहन जी ने कहा कि नियमित राजयोग के अभ्यास के द्वारा ही हम क्षमा रूपी गुण को धारण कर सकेंगे।
इस अवसर पर पदमा, पदमा बंसल, राजकुमार बंसल, मुस्कान कपूर, वीनू जी, गोपाल विजन, उषा कपूर, विनीता वालिया, प्रदीप वालिया, पुष्पा राणा, डा. राकेश कपूर, ममता रस्तोगी, विजय रस्तोगी, सुरेंद्र कुमार शर्मा, मनोज रावत, सीता नेगी आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।