प्राधिकरणों को बोर्ड बैठक नियमित रूप से आयोजित करने के निर्देश
देहरादून। प्रदेश के आवास एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भागीरथी नदी घाटी विकास प्राधिकरण के सीमा निर्धारण एवं कार्य व्यवहार में आ रही कठिनाइयों के निराकरण के लिये प्रभारी सचिव आवास आशीष जोशी की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश दिये है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में विभिन्न प्राधिकरणों को अपनी भूमिका तय करनी होगी। राज्य सरकार द्वारा प्राधिकारणों का गठन जनता की सुविधा तथा क्षेत्रीय विकास को ध्यान में रखकर किया गया है। उन्होंने प्राधिकरणों को बोर्ड की बैठक नियमित रूप से आयोजित करने के निर्देश देते हुए आम जनता को विश्वास में लेकर योजनाओं के क्रियान्वयन पर ध्यान देने को कहा है।
मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव सभागार में मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण., हरिद्वार विकास प्राधिकरण, भागीरथी नदी घाटी विकास प्राधिकरण, साडा, झील विकास प्राधिकरण, जिला स्तरीय प्राधिकरणों आदि के अधिकारियों की बैठक को सम्बोधित करते हुए शहरी विकास मंत्री श्री कौशिक ने कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों की जो समस्याएं है, उनका निराकरण प्राथमिकता पर किया जाए। प्राधिकरणों के स्तर पर लिए जाने वाले निर्णयों, किए जाने वाले कार्यो से आम जनता को सुविधा हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। जन सुविधाओं के व्यापक हित में प्राधिकरणों का गठन किया गया है इसका अधिकारी ध्यान रखें।
उन्होंने प्राधिकरणों से कार्य संचालन में उन्हें हो रही कठिनाइयों की जानकारी प्राप्त कर शासन स्तर पर उनके निराकरण के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि देहरादून हरिद्वार उधम सिंह नगर के लिए वन टाइम सेटलमेंट की स्कीम आरम्भ कर दी गई है। इससे भवन स्वामियों को नक्से पास कराने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय जनपदों के भ्रमण के दौरान भवनो के नक्शे पास कराने आदि की उनके समक्ष कई समस्याऐं रखी गई, इस सम्बन्ध में भी स्पष्टता जरूरी है, पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को इसमें सहुलियत हो, इस पर ध्यान दिया जाए अभी 200 मीटर तक के स्वंय के आवासीय भवन के लिये नक्शे पास कराने की जरूरत नहीं है, और न ही उन्हे इसके लिए कन्वर्जन चार्ज देने की आवश्यकता होगी। इस प्रकार की अन्य जो सुविधायें आम जनता को प्राधिकरणों द्वारा दी जा रही है, इसके लिये जनता को जागरूक करने की भी उन्होंने जरूरत बतायी। इस सम्बन्ध में समय-समय पर वर्कशाॅप आयोजित करने के भी उन्होंने निर्देश दिये है।
शहरी विकास मंत्री ने प्राधिकरणों से निवेशकों को निवेश हेतु आवश्यक सुविधायें एवं सहयोग प्रदान करने की भी अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि हमारा कार्य व्यवहार निवेशकों के अनुकूल होगा तभी यहा पर अधिक से अधिक निवेशक आ पायेंगे। इस सम्बन्ध में प्राधिकरण के उपाध्यक्षों को स्वंय ध्यान देना होगा। संवेदनशीलता के साथ प्रदेश के विकास में हम सबको योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण केवल नोटिस देना ही अपना कार्य न समझे इसके लिए काउन्सलिंग की भी व्यवस्था की जाएं, पुराने मामलों को अलग से निस्तारित किया जाऐ, उनके मानक तय किए जायें। पर्वतीय क्षेत्रों में स्ट्रक्चर इंजीनियरिंग की बाध्यता में भी छूट की बात उन्होंने कही। बैठक में विभिन्न जनपदों के प्राधिकरणों की समस्याओं का भी समाधान किया गया। उन्होंने कहा कि जनपद प्राधिकरणों को 50-50 लाख रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी गई इसमेे आम जनता के विकास से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में ध्यान दिया जायें। नदी तटांे पर बाढ़ सुरक्षा कार्यो के प्रति भी ध्यान देने की बात नगर विकास मंत्री ने की तथा प्राधिकरणों में प्रतिनियुक्ति पर जे.ई व ए.ई के नियुक्ति के भी निर्देश दिये।
बैठक में सचिव नगर विकास श्री नितेश कुमार झा, प्रभारी सचिव आवास श्री आशीष जोशी, अपर सचिव श्री सुनील पांथरी, उपाध्यक्ष एम.डी.डी.ए. श्री आशीष श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष हरिद्वार विकास प्राधिकरण श्री आलोक कुमार पाण्डेय, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी भागीरथी घाटी विकास प्राधिकरण श्री विनीत कुमार पांगती, सलाहकार भागीरथी नदी घाटी प्राधिकरण श्री एस.एस. पांगती, चीफ टाउन प्लानर श्री एस.के पंत, उत्तराखण्ड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (यू.एच.यू.डी.ए) के संयुक्त मुख्य प्रशासक श्री बंशीधर तिवारी, सचिव साडा श्री एस.एल सेमवाल, सचिव नैनीताल झील विकास प्राधिकरण श्री हरवीर सिंह सहित सभी जनपदों के विकास प्राधिकरणों के अधिकारीगण एवं प्रशासन के अधिकारीगण उपस्थित थे।