रुद्रप्रयाग/देहरादून। जयकारों के बीच प्रसिद्ध धाम भगवान केदारनाथ व यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए भैयादूज पर्व पर पौराणिक रीति रिवाज के साथ छह माह श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए।
पौराणिक रीति रिजावों एवं परम्पराओं के अनुसार सुबह केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। सुबह 6 बजे गर्भ गृह के कपाट बंद किए गए। इसके बाद बाबा केदार की उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया गया। सुबह करीब 8.30 बजे मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद कर दिए गए। इस मौके पर मुख्य पुजारी बागेश लिंग, रावल भीमा शंकर लिंग सहित करीब दो हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे। इस दौरान सेना के बैंड की धुन के साथ श्रद्दालु झूम रहे थे। साथ ही बाबा के जयकारे लगा रहे थे।
केदार बाबा के कपाट बंद होने के उपरांत भगवान की उत्सव डोली केदारनाथ धाम से रवाना होकर अपने प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए रवाना हो गई। रामपुर में रात्रि विश्राम के बाद 22 अक्टूबर को बाबा केदार की उत्सव डोली फाटा, नारायणकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 23 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली विश्वनाथ मंदिर से प्रस्थान कर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। जिसके बाद गर्भगृह में विराजमान होने के बाद शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भक्त दर्शन करेंगे, तथा छह माह तक यहीं पर नित्य पूजाएं भी संपन्न होगी।
उधर, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पारंपरिक विधि विधान से विश्वप्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट शनिवार को भाई दूज के पावन पर्व पर दोपहर 1.27 बजे यमुना जी का मुकुट उताराकर धाम के कपाट छह माह तक शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। शनिवार को भाई दूज के अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत सुबह से ही पूजा अर्चना की गई। सुबह से लेकर दोपहर तक यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने यमुना के दर्शन किए। यमुना की डोली के मंदिर से बाहर निकलते ही यमुना के जयकारों से यमुनोत्री धाम का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास खरसाली के लिए रवाना हुई। आज के बाद से छह माह तक श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन खुशीमठ (खरसाली) में ही कर सकेंगे।