देहरादून। जिन्दगी के लिए आध्यात्मिकता को जरूरी बताते हुए राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन ने कहा कि जिन्दगी तभी खू्रबसूरत व आनन्ददायक लगती है जब उसमें भौतिकता व आध्यात्मिकता का संतुलन हो।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित, रविवारीय सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन ने ”खूबसूरत जिन्दगी का राज -राजयोग“ विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि खूबसूरती वहाँ होती है जहाँ संतुलन हो। बगीचा भी वही खूबसूरत लगता है जिसमें रंग-बिरंगे फूल हों। डाक्टर भी स्वस्थ रहने के लिए संतुलित भोजन लेने की सलाह देता है। ठीक उसी प्रकार जिन्दगी भी तभी खू्रबसूरत व आनन्ददायक लगती है जब उसमें भौतिकता व आध्यात्मिकता का संतुलन हो। उन्होंने कहा कि जैसे जीवन में अच्छा स्कूल, ऊँचा पद, सुख सुविधा के साधन, पारिवारिक सम्बन्धों को निभाना, अच्छा स्वास्थ्य, खेल, मनोरंजन आदि सभी आवश्यक हैं वैसे आध्यात्मिकता भी जीवन के लिए परम आवश्यक है।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन ने कहा कि आध्यात्मिकता वह गुलाब का फूल है जो जिन्दगी रूपी बगीचे में खिले सभी फूलों की शोभा को दुगुना करता है। क्या हम नहीं चाहते कि बच्चे स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ स्वयं को व परमपिता परमात्मा को भी जानें, ऊँच पद पर आसीन होने के साथ-साथ संस्कारों में भी ऊँच हों, घर में साधन सुविधाओं के साथ-साथ सुख भी हो, पारिवारिक सम्बन्धों में मधुरता व प्रेम, शरीर की स्वच्छता के साथ-साथ मन भी सर्व बुराइयों से मुक्त हो। इन्ही सब चाहनाओं को पूरा करता है मेडिटेशन।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मन्जू बहन ने कहा कि इस सत्य से हम इन्कार नहीं कर सकते कि आज उच्च पदासीन लोग और उनके साघन सुविधाएं, खेल, मनोरंजन आदि सब बढ़ रहे हैं पर क्या सुख, शान्ति, प्यार, नैतिक मूल्य, संस्कार, सम्बन्धों में मिठास, स्वास्थ्य भी बढ़ रहे हैं? नहीं न। ऐसा क्यों हो रहा है? क्योंकि यह सब आध्यात्मिकता को अपनाने से मिलती है। खूबसूरत जीवन बनाने के लिए हमें आध्यात्मिकता को होगा। इस अवसर पर पदमा, विजय, प्रीति जोशी, उपदेश, राकेश कपूर, धीरज, विनोद शर्मा, सरोजिनी, उजला, भारत भूषण, विजयलक्ष्मी, कवीता आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।