शिक्षक संघों के साथ बैठक में लिए गए कई फैसले
देहरादून। मुख्यमंत्री की बैठक में भी ड्रेस कोड का समाधान नहीं निकल सका। इस मुद्दे पर बात तो उठी लेकिन ज्यादा बहस नहीं हो सकी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ शिक्षक संगठनों की सचिवालय में आयोजित वार्ता में कई समस्याओं का निदान करने की कोशिश की गयी।
शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड का मसला उठने पर प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसे नियमावली में लाने की मांग की लेकिन अन्य संगठनों ने इस सुझाव पर कोई रूचि नहीं दिखाई। राजकीय शिक्षक संघ पदाधिकारियों ने कहा कि यह मामला मूल रूप से शिक्षा मंत्री, विभागीय अधिकारियों व शिक्षक संगठनों के बीच का है लिहाजा इस पर पहले इसी स्तर पर राय बने। राजकीय शिक्षक संघ के इस तर्क से सीएम सहमत नजर आए। उन्होंने कहा कि एकरूपता से अनुशासन का बोध होता है। ड्रेस कोड के पीछे यही सोच है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिक्षकों के कार्यस्थल के आठ किलोमीटर के दायरे में रहने के फरमान से असहमत दिखे। उन्होंने इस पर पुनर्विचार किये जाने की जरूरत बताई।
मुख्यमंत्री ने शिक्षक संघ की समस्याओं को सुना और समस्याओं के निवारण के निर्देश दिए। उन्होंने विद्यालयों के कोटिकरण की विसंगतियों को तीन माह में दूर करने को कहा। बेसिक से एलटी में समायोजित शिक्षकों को बेसिक की सेवा का लाभ के साथ चयन एवं प्रोन्नत वेतनमान जोड़े जाने के लिए पांच सितंबर तक कार्रवाई पूर्ण कर लेने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सेवा नियमावली में आवश्यक संशोधन करने को कहा। सीएम ने प्रारंभिक शिक्षा में खेल प्रतियोगिताओं के लिए धनराशि 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने की घोषणा की। इसके साथ बीआरसी एवं सीआरसी को भी नियमावली के अनुसार कोटिकरण में सम्मिलित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वर्ष 2005 में कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की आचार संहिता के कारण जिन शिक्षकों को नियुक्ति पाने में विलंब हुआ है, उन्हें पुरानी पेंशन योजना में शामिल कर लिया जाए। चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान के लिए गढ़वाल मंडल एवं कुमाऊं मंडल में जो असमानताएं हैं उसे दूर किया जाए।
अशासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षा चयन बोर्ड बनाने की कार्रवाई शुरू करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए। अशासकीय विद्यालयों में सामान्य भविष्य निधि की विसंगतियों को दूर कर जनपद स्तर पर निस्तारण के लिए सरलीकरण करने के आदेश भी उन्होंने दिये। इसके अलावा उन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुके उत्तर प्रदेश विकल्पधारी शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के आदेश दिये। इसके अलावा कोटिकरण की समस्या का निदान तीन महीने में करने के साथ बेसिक से एलटी में समायोजित शिक्षकों को वेसिक का लाभ देने के निर्देश दिये गये। समय कम होने के कारण सभी संगठनों की समस्याओं पर बात नहीं हो सकी।
बैठक में सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा, सचिव शिक्षा चन्द्रशेखर भट्ट, महानिदेशक शिक्षा आलोक शेखर तिवारी, निदेशक शिक्षा आरके कुंवर सहित विभागीय अधिकारी एवं राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह चौहान, महामंत्री डा. सोहन सिंह माजिला, प्राथमिक के महामंत्री दिग्विजय सिंह चौहान, माध्यमिक के सुभाष चौहान व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।