द्रोणनगरी में पहली बार निकाली जाएगी श्री खाटू श्याम प्रभु की भव्य निशान यात्रा

देहरादून, (गढ़वाल का विकास न्यूज)।  द्रोणनगरी में आगामी 21 मार्च को पहली बार श्री खाटू श्याम प्रभु की भव्य निशान यात्रा निकाली जाएगी। यह जानकारी श्री श्याम सेवा परिवार गढ़ी-डाकरा, देहरादून से जुड़े अरविन्द तायल व दीपक गर्ग ने दी।
उन्होंने बताया कि राजस्थान सूरजगढ़ स्थित श्री श्याम बाबा के मन्दिर में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की द्वादशी तिथि को यह यात्रा आयोजित होती है। वहाँ की तर्ज पर जनपद देहरादून में भी यह यात्रा प्रथम बार आयोजित की जा रही है। समस्त श्याम प्रेमी बेसब्री से इस यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे है।
लगभग 251 निशान होंगे अर्पण
उन्होंने कहा कि लगभग 251 निशान श्याम बाबा को अर्पित किये जायेंगे। जिन्हें श्रद्धालु अपनी-अपनी श्रद्धानुसार वाहन तथा पैदल ही अपने कंधो पर धारण कर माण्डूवाला में श्री बालासुन्दरी खाटुधाम में प्रभु को अर्पण करेंगे। यात्रा में कोई भी श्रद्धालु प्रतिभाग कर सकता है इसके लिए श्रद्धालुओं को पूर्व में ही पंजीकरण कराना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस समय लगभग 190 निशान पंजीकृत हो गये है। पंजीकरण निःशुल्क ही किये जा रहे है यात्रा में स्त्री पुरूष, बच्चे कोई भी बाबा को निशान अर्पण कर सकता है।
लगभग 17 कि0मी0 की होगी यात्रा (यात्रा मार्ग)
यात्रा 21 मार्च 2021 (रविवार) को प्रातः 7:30 पर आत्माराम धर्मशाला किशननगर चौक से पूजा अर्चना करने के पश्चात् वाहनों एवं पैदल प्रारम्भ होगी। किशननगर चौक से गढ़ी कैन्ट, हाथी बड़कला, दिलाराम चौक से घण्टाघर प्रिंस चौक से सहारनपुर चौक. आई०एस0बी०टी०o से जनरल महादेव सिंह रोड, बल्लुपूर, प्रेमनगर, नन्दा की चौकी से सिद्ध वाला चौक से माण्डूवाला मन्दिर बाला सुन्दरी में विश्राम कर निशान अर्पण होंगे।
श्री खाटु श्याम दरबार से आयेंगे निशान
राजस्थान में रींगस शहर जहाँ श्री श्याम प्रभु का दरबार है उसी शहर से विशेष वाहन से निशान आ रहे है ।
निर्बल को सबल एवं मनोकामना पूर्ति के लिए होती है यात्रा
निशान यात्रा अर्थात ध्वज को कहते है जिसके शीर्ष पर मौरपंखी व श्रीफल सजा होता है ध्वज को विजय का प्रतीक भी कहा जाता है। चूंकि श्याम प्रभु ने महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण को अपने शीश का दान दे दिया था तथा अपनी माता को वचन दिया था कि वे हारो का साथ देंगे इसी कारण इन्हें शीश का दान ही व हारों का सहारा भी कहा जाता है इसी के साथ जिन श्रद्धालुओं की मनोकाना पूर्ण हो जाती है वह भी इस निशान यात्रा में प्रतिभाग करते है।
सध्या भजन संख्या एवं भण्डारा
मन्दिर में भजन संख्या होगी। अन्त में भण्डारे का आयोजन भी किया।

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