नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के शिखर पुरुषों में शुमार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार को एम्स में निधन हो गया। 93 वर्षीय वाजपेयी ने शाम 5 बजकर 5 मिनट पर अंतिम सांस ली। वह 11 जून से एम्स में भर्ती थे। एम्स के अनुसार, पिछले 36 घंटे से उनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी और उन्हें जीवन रक्षक पण्राली पर रखा गया था। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। वाजपेयी के निधन का समाचार मिलते ही देश भर में शोक की लहर दौड़ गयी। केन्द्र सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार राजघाट के पास शुक्रवार शाम चार बजे स्मृति स्थल पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा तथा केन्द्र सरकार के सभी कार्यालय तथा सार्वजनिक उपक्रमों में दोपहर बाद आधा दिन का अवकाश रहेगा। इससे पहले एम्स से वाजपेयी के पार्थिव शरीर को उनके 6 कृष्णमेनन मार्ग स्थित आवास पर ले जाया गया, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए नेताओं का तांता लग गया। यहां सबसे पहले उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरीखे नेता शामिल रहे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बताया कि शुक्रवार सुबह नौ बजे वाजपेयी का पार्थिव शरीर दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित पार्टी मुख्यालय में लोगों के दर्शनार्थ रखा जाएगा।