देहरादून। आप भले विश्वास न करे, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है। प्रदेश के एक पूर्व मंत्री के आवास पर गढ़वाली कुमाऊंनी और जौनसारी बोली की कक्षाएं चलेगी। इस कवायद के पीछे इन भाषाओं को संरक्षण देने के साथ संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करवाना है।
उत्तराखंड के पूर्व मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को संरक्षण देने के लिए अपने आवास पर बच्चों को इन भाषाओं को पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि वह रोजाना शाम को 4 से 5 बजे तक अपने आवास पर बच्चों को गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली पढ़ाएंगे, जबकि दून मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. एमके पंत कुमाऊंनी और कारोबारी विनोद चौहान जौनसारी द्वारा जौनसारी पढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को जोड़ने की पहल उनके द्वारा शिक्षा मंत्री रहते समय की थी। उन्होंने कहा कि उस समय आचार संहिता लगने तथा मौजूदा सरकार द्वारा भी इस दिशा में अब तक भी कोई पहल नहीं की, जिस कारण उनको खुद आगे आना पड़ा। उनका साफ कहना था कि संविधान की आठवीं अनुसूची में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली को शामिल कराने के लिए प्रदेश स्तर पर इस तरह की कक्षाओं के आयोजन की योजना बना रहे हैं। इस अवसर पर कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।