देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए सभी का सहयोग ले रही है। उन्होंने कहा विभिन्न संस्थाओं के सुझावों पर भी सरकार अमल कर रही है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान के संस्थापक पद्मश्री प्रो अनिल के. गुप्ता से यह बात कही।
प्रो. गुप्ता ने विकास में नव प्रवर्तकों का सहयोग लेने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने प्रो. गुप्ता का स्वागत करते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में उनके द्वारा किये जा रहे प्रयास समाज को नई दिशा दे रहे हैं। उनके अनुभवों का लाभ उत्तराखंड को भी मिल,े इस संबंध में उनके सुझावों व विचारों पर अमल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास तथा ग्रामीण आर्थिकी मजबूत करने तथा युवाओं को स्वरोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के सभी 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेन्टर के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई है। इससे प्रदेश में नव प्रवर्तन की भी राह प्रशस्त होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी 32 विविद्यालयों को मेरा सामाजिक दायित्व के तहत प्रदेश के विकास में सहभागी बनने को कहा है। विविद्यालयों से प्रत्येक विकास खंड के एक गांव को गोद लेकर वहां की समस्याओं को चिह्नित करने का काम दिया गया है, ताकि उन गांवों की बेहतरी के लिए काम किया जा सके। विविद्यालयों से इस पर गंभीर सुझाव देने को भी कही गयी है। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी जंगली जानवरों से खेती को बचाने के लिए योजना बना रही है। इसमें पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली सूअरों व बंदरों से खेती को बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय संसाधनों के बेहतर विकास की दिशा में भी सुझाव प्राप्त हो रहे हैं। हमारे उत्पाद हमारी पहचान बने इस दिशा में भी पहल की जा रही है।
प्रोफेसर गुप्ता ने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से संबंधित शिक्षा, स्वास्य, सफाई-व्यवस्था, कृषि, लघु उद्यम आदि के क्षेत्रों में नव प्रवर्तकों की तलाश हो और जो लोग काम कर रहे हैं, उनका सहयोग लिया जाए। उनका मानना था कि ऐसे प्रयोग समाज को नई दिशा देने के साथ ही प्रतिभाओं को समाज के सामने लाने में भी मददगार हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि पारम्परिक खाद्यान्न को बढ़ावा देने के लिये हमें प्रयास करने होंगे, ताकि जंक फूड के प्रचलन को कम किया जा सकें। शिक्षक, छात्रों तकनीकि दक्षता वाले युवाओं के अविष्कारों को मान्यता देने के साथ ही उद्यमिता के विचारों को बढ़ावा देना होगा। स्थानीय स्तर पर उत्पादों की बेहतर प्रोसेसिंग व उनके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भी युवा उद्यमियों को आगे लाना होगा। उन्हें प्रोत्साहित कर मदद करनी होगी। इससे हम नये प्रयोगां से भी जुड़ सकेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ये प्रतिभायें राज्य के विकास में सहयोगी बनें, इसके प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में नव प्रवर्तन उत्सवों के माध्यम से उन्हें पहचान दिलाने का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।