देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। वैदिक मंत्रोच्चारण व पूजा अर्चना के बाद भू वैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पहले दिन भगवान के निर्वाण दर्शन हुए। श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के दर्शन कर घृत कंबल का प्रसाद ग्रहण किया। कपाट खुलने के अवसर पर 10 हजार के करीब श्रद्धालु बदरीनाथ धाम में मौजूद रहे।
बदरीनाथ धाम के कपाट आज मेष लग्न में सुबह वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूरे विधिविधान के साथ आम दर्शनों के लिए खोल दिए गए। इससे पूर्व श्री बदरीनाथ धाम में देर रात से ही दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं ने लाइन लगानी शुरू कर दी थी। मंदिर समिति के कर्मचारियों व पुलिस की देखरेख में श्रद्धालुओं की लाइन लगाई गइ। सुबह सवा तीन बजे दक्षिण द्वार से भगवान कुबेर ने बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश किया। साढ़े 3 बजे वीआइपी गेट से बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों ने उद्धव जी की उत्सव मूर्ति के साथ मंदिर के अंदर प्रवेश किया।
उद्धव व कुबेर जी की मूर्ति को गर्भगृह में रखने से पहले मां लक्ष्मी को गर्भगृह से बाहर लाकर लक्ष्मी मंदिर में विराजित किया गया। तड़के 3.35 बजे मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के निर्देशन में द्वारा पूजन का कार्यक्रम शुरू हुआ। द्वार पूजन के बाद 3.45 बजे गाड़ू घड़े को मंदिर के अंदर ले जाया गया। ठीक सुबह 4रू15 बजे जयकारों के बीच बदरी विशाल के कपाट खोले गए। कपाट खुलने के दौरान वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा स्वस्तिवाचन गाया गया।
कपाट खुलते ही गढ़वाल स्काउट बैंड की धुन और भक्तों के जयकारों से धाम गूंजायमान हो गया। कपाट खुलने के मौके पर सेना के बैंडों की मधुर भक्तिमय ध्वनि के बीच माणा व बामणी गांव की महिलाओं ने मंदिर परिसर में दांकुड़ी (पारंपरिक नृत्य) की प्रस्तुति भी दी। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के वक्त उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, बदरीनाथ.केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल और समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।
शनिवार को खुलेंगे भैरवनाथ मंदिर के कपाट
केदारनाथ धाम के कपाट भले ही गुरुवार को खुल गए होंए लेकिन बाबा की आरती व नित्य पूजाएं शनिवार को भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद ही शुरू होंगी। केदारनाथ मंदिर में भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद ही नित्य पूजा, आरती व भोग लगाने की परंपरा है। भैरवनाथ मंदिर के कपाट केदारबाबा के कपाट खुलने के बाद पहले पडऩे वाले मंगलवार या शनिवार को खुलते हैं। भैरवनाथ को बाबा केदार का रक्षक माना गया है। भैरवनाथ मंदिर के पुजारी अरविंद शुक्ला ने बताया कि शनिवार को विधि.विधान से भैरवनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद ही केदारनाथ मंदिर में शाम की आरती शुरू होगी।