बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद

बदरीनाथ/जोशीमठ। बदरी विशाल के कपाट रविवार को बर्फबारी के बीच धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाजों के बीच शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस मौके पर करीब 8 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया।
धार्मिक रीति रिवाजों और गढ़वाल स्काउट्स के बैंड की मधुर धुन के बीच हिंदुओं के प्रसिद्ध भू-बैकुंठ धाम भगवान बदरीनाथ मंदिर के कपाट शाम 7.28 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस मौके पर भगवान के श्रीविग्रह का तो पृष्प श्रंगार किया ही गया था अपितु मंदिर परिसर, सिंहद्वार व पुल से लगे इलाके को पुष्पों से सुसज्जित किया गया था। प्रात: करीब साढ़े चार बजे से भगवान की नित्य पूजाएं शुरू हुई। इस वर्ष की अंतिम महाभिषेक पूजा के उपरांत पूरे दिन भोग पूजाओं व दर्शनों के उपरांत शाम भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने से पूर्व मुख्य पुजारी रावल ईरी प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री भेष धारण कर परिक्रमा परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर से माता लक्ष्मी की मूर्ति को उठाकर भगवान नारायण के संग गर्भ गृह मे प्रतिष्ठापित किया।
माणा की कुंवारी कन्याओं द्वारा बुने ऊ नी कंबल पर घृत का लेपन कर भगवान श्री हरिनारायण के श्रीविग्रह पर लेपा गया और गर्भगृह से उद्धव, कुबेर व गरुड़ की मूर्तियों को बाहर लाकर हक-हकूकधारियों के सुपुर्द किया। ठीक सायं 7.28 बजे सेना की गढ़वाल स्काउट्स बटालियन की मधुर बैंड धुन के साथ कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए। कपाट बंद करने के बाद रावल जी उद्वव जी को लेकर उल्टी सीढिय़ों से उतरे। कपाट बंदी के अवसर पर बदरी विशाल के जयकारों से बदरीशपुरी गुंजायमान हुई। सभी उत्सव मूर्तियां सोमवार को शंकराचार्य गद्दी के साथ पांडुकेश्वर पहुंचेंगी। इस अवसर पर पूर्व सीएम हरीश रावत, बीकेटीसी के अध्यक्ष गणोश गोदियाल, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट, बीकेटीसी के सीईओ बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन उनियाल, पूर्व एमएलसी पृवीपाल सिंह चौहान, मंदिर समिति के सदस्य विजेंद्र रावत, दिवाकर चमोली, भाष्कर डिमरी, जगदीश भट्ट, जिलाधिकारी चमोली आशीष जोशी, पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट व चमोली के उप जिलाधिकारी परमानंद राम समेत तमाम गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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