बीमा कम्पनी को 1.18 लाख मय ब्याज भुगतान का आदेश
देहरादून। बीमा कम्पनी को बीमा क्लेम में कम धनराशि देना महंगा पड़ा। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कम्पनी को 1 लाख 18 हजार 790 की धनराशि मय 7 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान का एक माह के अन्दर भुगतान का आदेश दिया है। उपभोक्ता फोरम ने बिना आपत्ति भुगतान करने को शेष भुगतान के दावे पर कोई रोक नहीं माना।
काशीपुर निवासी शिव शक्ति नाथ अग्रवाल की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा कि परिवादी अपने स्वरोजगार हेतु आशा प्रिन्टर्स के नाम से कागज की खरीद बिक्री का कार्य करता है और वह आशा प्रिन्टर्स का स्वामी है। परिवादी ने अपने कागज के स्टाक का बीमा रू. 20857 प्रीमियम भुगतान करने नैशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 से कराया। 19-07-2014 को परिवादी के गंगे बाबा रोड स्थित गोदाम में भारी वर्षा से पानी भरने से कागज खराब हो गया जिसकी सूचना बीमा कम्पनी को दी गयी। बीमा कम्पनी ने अजय कुमार को सर्वेयर नियुक्त किया तथा फाइनल सर्वे हेतु 22-07-2014 का एस.केे अग्रवाल को सर्वेयर नियुक्त किया। प्रारम्भिक सर्वेयर द्वारा 431 कागज के बंडलों के नुकसान की तथा फाइनल सर्वेयर द्वारा 493 कागज के बंडलों के नुकसान की रिपोर्ट बीमा कम्पनी को दी। बीमा कम्पनी ने 431 कागज के बंडलों का नुकसान स्वीकार करते हुये बीमा क्लेम का निपटारा करते हुये 6 लाख 51 हजार 474 का भुगतान 31-05-2015 को परिवादी के बैंक खाते में कर दिया। कम बीमा क्लेम प्राप्त होने पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से बीमा कम्पनी को शेष भुगतान के लिये नोटिस भेजा। इसके बाद भी बीमा कम्पनी द्वारा भुगतान न करने पर उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया गया।
बीमा कम्पनी ने अपने लिखित कथन में कहा कि बीमेे के अन्तर्गत गोदाम में हुये नुकसान की धनराशि बिना किसी आपत्ति के पूर्ण एवं अन्तिम भुगतान के रूप में ली जा चुकी है। इसलिये परिवादी बीमा कम्पनी से कोई भी धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विबंध का सिद्धांत लागू होता है तथा परिवाद खारिज होने योग्य है। जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्यों श्रीमति नरेश कुमारी छाबड़ा तथा सबाहत हुसैन खान की पीठ ने परिवादी के अधिवक्ता नदीम उद्दीन के तर्कों से सहमत हुये निर्णीत किया कि इस मामले मेें बिबन्ध का सिद्धांत लागू नहीं होता है क्योंकि बीमा कम्पनी ने रू. 6,51,474 की धनराशि परिवादी के खाते में अंतरित करने से पहले परिवादी की सहमति नहीं ली थी।
जिला उपभोक्ता फोरम ने फाइनल सर्वेयर द्वारा 493 कागज के बंडलों के नुकसान को सही मानते हुये परिवादी को रू. 7 लाख 62 हजार 264 रूपये प्राप्त करने का हकदार माना तथा रू. 6,51,474 की पूर्व में भुगतान की गयी धनराशि को घटाते हुये शेष रू. 1 लाख 10 हजार 790 की धनराशि निर्णय से एक माह के अन्दर भुगतान करने का आदेश दिया। इसके अतिरिक्त इस धनराशि पर परिवाद दायर करने की तिथि 21-04-2016 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज तथा 5 हजार रू. मानसिक उत्पीड़न तथा 3 हजार रूपये वाद व्यय के भी भुगतान का आदेश दिया।