देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। आप भले विश्वास न करे, लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है। पर्यटन व तीर्थाटन के रूप में अपनी अलग पहचान बनाने वाला उत्तराखंड अब देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है, जहां बेरोजगारी सबसे अधिक है। राष्ट्रीय नमूना सव्रेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की वार्षिक श्रम बल रिपोर्ट के मुताबिक देश के 11 राज्यों में 2011-12 की तुलना में 2017-18 में बेरोजगारी दर बहुत बढ़ गई है। उत्तराखंड की बात करें तो उत्तराखंड देश में बेरोजगारी के मामले में 7वें स्थान पर है।
उत्तराखंड में जहां 2011-12 में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत थी, वह 2017-18 में दोगुने से अधिक बढ़कर 7.60 प्रतिशत हो गई। वैसे भी हाल में प्रदेश सरकार की ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स रिपोर्ट के 15 से 29 साल के युवाओं में बेरोजगारी के आंकड़े देखें तो 2004-05 में युवाओं में बेरोजगारी दर छह फीसद तो पढ़े-लिखे युवाओं में 9.8 फीसद थी। 2011-12 में यह बढ़कर युवाओं के लिए 10.2 व पढ़े लिखे युवाओं के लिए 17.2 प्रतिशत हो गई। जबकि 2017 के आंकड़ों के मुताबिक यह अब बढ़कर युवाओं के लिए 13.2 व पढ़े लिखे युवाओं के लिए 17.4 प्रतिशत हो गई है। मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के मैदानी और शहरी इलाकों में युवकों में बेरोजगारी की दर अधिक है। युवतियों की बेरोजगारी दर देखें तो उनकी बेरोजगारी दर पहाड़ी जिलों में युवकों की चार गुना व शहरी व मैदानी क्षेत्रो व ग्रामीण क्षेत्रों में युवकों की बेरोजगारी दर से दोगुने से अधिक है। साफ है कि प्रदेश में बेरोजगारी भीषण रूप ले चुकी है।
सरकार के विभागों, निगमों, उपक्रमों आदि में 53 624 पद ही खाली हैं। 36539 रिक्त पद केवल राजकीय विभागों के हैं। कुल खाली पदों में इसमें से 43624 समूह ‘‘ग’ के पद हैं। लगभग 9 लाख 33 हजार सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकृत हैं। नौकरियों की स्थिति बहुत ही भयावह है। सेवायोजन विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह स्थिति निश्चित रूप से निराश करने वाली है। राज्य गठन के बाद अब तक 23 सेवायोजन कार्यालयों से 24056 लोगों को ही इन कार्यालयों के माध्यम से नौकरियों मिली हैं। गैरपंजीकृत बेरोजगारों की भी फौज लगातार बढ़ती जा रही है। बहरहाल, एनएसएसओ की सव्रे रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 में जहां देश में बेरोजगारी दर 2.2 फीसद थी जबकि अब यह 6.1 प्रतिशत है। देश में हरियाणा, केरल, उत्तराखंड, बिहार, असम, झारखंड और उड़ीसा में बेरोजगारी दर बहुत बढ़ गई है जबकि 2011-12 में पंजाब, तमिलनाडु, उड़ीसा, उत्तराखंड और बिहार देश के सबसे अधिक बेरोजगारी वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल हुए थे। 19 राज्यों हरियाणा, असम, झारखंड, केरल, उड़ीसा, उत्तराखंड, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
देश में केरल उन राज्यों में है जहां सबसे ज्यादा यानी बेरोजगारी दर 11.4 फीसद है। जबकि 2011-12 में यह 6.1 प्रतिशत थी। इसके बाद हरियाणा में 8.6 प्रतिशत बेरोजगारी दर है जबकि 2011-12 में यह 2.8 फीसद ही थी। छत्तीसगढ़ में सबसे कम 3.3 प्रतिशत बेरोजगारी है। मध्य प्रदेश में 4.5, पश्चिमी बंगाल में 4.6 प्रतिशत बेरोजगारी दर है। गुजरात के हालात सबसे भयानक हुए हैं। 2011-12 में जहां बेरोजगारी दर0.5 प्रतिशत थी वहीं 2017-18 में बढ़कर 4.8 प्रतिशत हो गई। बता दें कि प्रदेश में 9 लाख 36 हजार पंजीकृत बेरोजगार हैं।
देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर (प्रतिशत में) वाले 10 राज्य
राज्य वर्ष 2011-12 वर्ष 2017-18
केरल 6.1 11.40
हरियाणा 2.80 8.60
असम 4.70 8.10
पंजाब 2.20 7.80
झारखंड 2.50 7.70
तमिलनाडु 2.20 7.60
उत्तराखंड 3.20 7.60
बिहार 3.50 7.20
उड़ीसा 2.40 7.10
उप्र 1.50 6.40