देहरादून। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ तानातानी के बाद भी आमरण अनशन पर बैठे राजकीय शिक्षकों को हड़ताल वापस लेनी पड़ी है। बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट ने आंदोलन पर तल्ख टिप्पणी की और शिक्षकों पर कड़ी कार्यवाही के निर्देश देते हुए शुक्रवार को इस संबंध में रिपोर्ट मांगी तो संघ को आंदोलन वापस लेना पड़ा। कोर्ट के रूख की जानकारी होते ही संघ ने निदेशक को आंदोलन समाप्त होने की सूचना लिखित रूप में दे दी। आमरण अनशन के तीसरे दिन कोर्ट का रूख सामने आने के बाद संघ बैकफुट पर है। संघ का आंदोलन निदेशालय में आमरण अनशन के रूप में तीसरे दिन भी दोपहर तक चला। प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश बहुगुणा व प्रांतीय मंत्री योगेश घिल्डियाल आमरण अनशन पर बैठे रहे। उनके साथ प्रांतीय अध्यक्ष केके डिमरी, महामंत्री सोहन सिंह माजिला, रवींद्र राणा, शिव सिंह नेगी, हेमंत पैन्यूली व अनूप चौधरी भी मौजूद थे। नैनीताल हाईकोर्ट में संघ की ओर से उनके वकील ने जब यह दलील दी कि यह आंदोलन है और इससे पढाई बाधित नहीं हो रही। कोर्ट ने कर्मचारी आचरण नियमावली का पालन करने और विभाग को आंदोलित शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिये और की गई कार्यवाही से शुक्रवार को कोर्ट को अवगत कराने के निर्देश दिये तो आंदोलन वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। संघ के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट के रूख की जानकारी मिलने के बाद संघ नेता तुरंत हरकत में आये और उन्होंने शिक्षा निदेशक को संबोधित एक पत्र संघ की ओर से लिखा। जिसमें लिखा है कि संघ के अधिवक्ता से मिली जानकारी के अनुसार आंदोलन समाप्त करने की अपेक्षा की गयी है, इसलिए संघ न्यायालय की भावना के अनुरूप आंदोलन को स्थगित कर रहा है।