राजयोग आत्म विश्लेषण की प्रयोगशाला: ब्रह्माकुमारी मंजू बहन

देहरादून। राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि अनेक प्रकार के योगों में राजयोग सर्वश्रेष्ठ है जोकि परमपिता से मिला हुआ सबसे बड़ा वरदान है। उन्होंने राजयोग को आत्म विश्लेषण की प्रयोगशाला करार दिया।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने ”राजयोग से प्राप्तियाँ” विषय पर कहा कि भारत देश प्राचीन काल से ही योग तथा आध्यात्म के क्षेत्र में विशेष जाना जाता है। अनेक प्रकार के योगों में राजयोग को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए उन्होंने कहा कि राजयोग अर्थात स्वयं की खोज। यह अपने भीतर जाने का मार्ग दिखता है, श्रेष्ठ विचारों की उत्पत्ति, शुभ संकल्पों का प्रवाह, मन पर नियन्त्रण तथा कर्मेंन्द्रियों पर राज्य सम्भव है।

उन्होंने कहा कि संसार के तमाम दुख, दर्द, परेशानियाँ, लोभ, मोह, क्रोध, अहंकार आदि को मिटाकर मन को सुमन बनाने का यह सरल एवं आनंदायी उपाय हैं। राजयोग हमें सिखाता है कि बुरे संकल्पों के प्रवाह में बहना नहीं। मजबूत आन्तरिक स्थिति से बुरे को अच्छे में परिवर्तन करना है। सुख, शान्ति आदि सभी गुण आत्मा में सुषुप्त अवस्था में होते हैं, जरूरत होती है इन्हें जागृत करने की। राजयोग ऐसा प्रकाश स्तंभ है जिसकी रोशनी में यह सभी गुण जागृत हो जाते हैं।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि राजयोग आत्म विश्लेषण की प्रयोगशाला है। यह बाहर के संसार से आन्तरिक संसार की ओर जाने का सुगम पथ है। अतः घर परिवार में रहते हुए अपने कर्तव्य पूर्ण करते हुए राजयोग के द्वारा अपनी कर्मेंन्द्रियों के अधिकारी बनने का लक्ष्य अवश्य हासिल करंे। इस अवसर पर राजेश, गंगा भाई, सुरेन्द्र, निधि, पुष्पा बिष्ट, रेनू तथा अन्य मौजूद थे।

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