राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप राज्य बनाने को सरकार प्रयासरत: रावत

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी शहीदों की पुण्यस्मृति पर CM ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण व पुष्पचक्र अर्पित किये
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को शहीद स्थल, कचहरी, देहरादून में उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी शहीदों की पुण्यस्मृति पर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण व पुष्पचक्र अर्पित किये। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक पर्वतीय राज्य बना। राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उत्तराखण्ड को स्पेशल स्टेट का दर्जा दिया। अटल जी ने उत्तराखण्ड को नया राज्य बनाने के साथ ही राज्य को मजबूती प्रदान करने के लिए औद्योगिक पैकेज दिया। जिसके कारण आज उत्तराखण्ड एक औद्योगिक राज्य के रूप में जाना जाता है। पर्यटन राज्य के रूप में उत्तराखण्ड की विशेष पहचान है। देश व दुनिया के पर्यटक उत्तराखण्ड आना चाहते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ऑल वेदर रोड, रेलवे लाईन का और उड़ान योजना के तहत एयर कनेक्टिविटी का तोहफा उत्तराखण्ड को दिया। दिल्ली, काठगोदाम, जयपुर से कनेक्टिविटी बढ़ाई है। मुज्जफरनगर-रूड़की नई रेल लाईन के लिए धनराशि दी। दिल्ली-हरिद्वार-देहरादून  एक्सप्रेसवे व दिल्ली-बागपथ-सहारनपुर देहरादून रेलवे लाईन पर कार्य चल रहा है। राज्य के विकास लिए जो अवस्थापना सुविधाओं की जरूरत है उसको अटल जी ने औद्योगिक पैकेज व नरेन्द्र मोदी जी ने कनेक्टिविटी के रूप में राज्य को तोहफा दिया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। 58 रूरल ग्रोथ सेटर के लिए स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। सोलर पॉलिसी के तहत 200 मेगावट के प्रोजक्ट पर्वतीय क्षेत्रों में लग रहे हैं। चीड़ की पत्तियों से बिजली बनाने का कार्य राज्य में शुरू हो गये हैं। इसके 21 प्रोजक्ट आवंटित कर दिये हैं। आने वाले समय में इन योजनाओं के व्यापक स्तर पर परिणाम आयेंगे व पलायन भी रूकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सौंग व जमरानी बांध बनने के बाद 15 लाख की आबादी को पूर्ण ग्रेविटी का पानी उपलब्ध होगा व प्रतिवर्ष 100 करोड़ रूपये की बिजली की भी बचत होगी।

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