वृक्षों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करें: बेबी रानी मौर्य

रेलवे स्टेशन, ऋषिकेश की रेलवे वाटिका में वृक्षारोपण, प्रकृति का संरक्षण ही वर्तमान समय का सार्वजनिक और निजी दायित्व -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश/देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। ज्ञान और उल्लास के पावन पर्व वसंत पंचमी के अवसर पर परमार्थ निकेतन, गंगा एक्शन परिवार के द्वारा तथा एच. डी. एफ. सी. बैंक के सहयोग से रेलवे स्टेशन, ऋषिकेश की रेलवे वाटिका में वृक्षारोपण किया गया। राज्यपाल उत्तराखण्ड बेबी रानी मौर्य, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विधानसभा अध्यक्ष प्रेेमचन्द्र अग्रवाल और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर वृक्षारोपण अभियान का शुभारम्भ किया। बसंत पंचमी के पावन अवसर पर उद्बोधन देते हुये उत्तराखण्ड की राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि ’’बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना गया है तथा बसंत पंचमी को फूलों के खिलने और नई फसल के आगमन का त्योहार भी कहा जाता है। बसंत के अवसर पर प्रकृति की खूबसूरती चरम पर होती है उसी खूबसूरती को बनाये रखने के लिये परम पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन एवं सान्निध्य में आयोजित वृक्षारोपण अभियान वास्तव में एक दिव्य आयोजन है।’’
महामहिम ने कहा कि वैसे तो भारत उन देशों में से एक है जहां वनों का अस्तित्व बढ़ रहा है परन्तु भारत के पास विकास के दबाव के साथ अत्यधिक भू – जनसांख्यिकीय भार भी है, जिसके कारण हमारा देश जैव विविधता की जोखिम का सामना कर रहा है। इस समय भारत के नागरिकों का कर्तव्य है कि जिसके पास जहां पर भी खाली जमीन पड़ी है उस पर वृक्षारोपण करें और पौधों की देखभाल अपने बच्चों के समान करें। इस अवसर पर उन्होने चिपको आन्दोलन, गौरी देवी, श्री सुन्दरलाल बहुगुुणा जी और श्री कल्याण सिंह जी को याद करते हुये कहा कि उत्तराखण्ड प्रकृति संरक्षण की भूमि है। अब समय पुरानी परम्पराओं को दोहराने का है। उन्होने कपड़े के थैले का उपयोग करने तथा एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संदेश दिया। साथ ही उत्तराखण्ड के विश्वविद्यालयों में वृक्षारोपण करवाने की बात पर भी कही।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को वसंत पंचमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज के इस दिव्य अवसर पर सभी के हृदय में ज्ञान, उल्लास, उमंग और दिव्यता की तरंग का संचार हो। उन्होेने कहा कि संत और बसंत में वैसे तो अनेक समानतायें है परन्तु प्रमुखतः जब बसंत आता है तो प्रकृति सुधर जाती है और जब संत आते है तो संस्कृति सुधर जाती है इसलिये सभी को संत स्वरूप आचरण के साथ प्रकृति और संस्कृति दोनों के सुधार के लिये कार्य करना होगा तभी हम प्रदूषण रूपी वैश्विक समस्या का समाधान कर सकते है।
स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य जन्म लेता है तब से ही उसे प्राणवायु आॅक्सीजन की जरूरत होती है और मृत्यु होने के पश्चात भी वह एक पेड़ लेकर जलता है। ऐसे में जीवन की सार्थकता और अर्थपूर्ण जीवन यही है कि जीते जी पौधों का रोपण अवश्य करें ताकि अपने श्रेष्ठ कर्मो की विरासत के साथ मृत्यु को प्राप्त हो सकें। मुझे तो लगता है प्रकृति का संरक्षण ही वर्तमान समय का सार्वजनिक और निजी दायित्व है। वृक्ष, अमूल्य धरोहर हैं। जो क्षेत्र वृक्षों से समृद्ध है वह क्षेत्र मनुष्य को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करता है। वृक्षों से युक्त हरा-भरा क्षेत्र प्रकृति की जीवंतता को दर्शाता है। साथ ही वृक्ष, मिट्टी की उर्वरता, प्रदूषण नियंत्रण, आॅक्सीजन का उत्पादन, पानी की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र को बनायें रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सबसे बड़ी बात वृक्ष, जीवन के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं। स्वामी जी ने सीएए पर बोलते हुये कहा कि यह किसी को तोड़ने के लिये नहीं बल्कि जोड़ने के लिये है अतः भय और भ्रम में नहीं बल्कि भाव से जिये।
श्री प्रेमचन्द अग्रवाल जी ने पर्व और त्योहारों के अवसर पर वृक्षारोपण करने का संदेश देते हुये कहा कि धरती जब अपना परिधान बदलती है तब वसंत आता है। वैसे तो उत्तराखण्ड में 70 प्रतिशत भूमि पर जंगल है परन्तु हमें अपने पूरे राष्ट्र को स्वस्थ रखने के लिये यहां से आॅक्सीजन की आपूर्ति करना होगा इसलिये पौधों का रोपण करना नितांत अवश्यक है। मेयर श्रीमती अनिता ममगई ने कहा कि पौधों के रोपण के साथ उनका संरक्षण और संवर्द्धन जरूरी है। आगामी पीढ़ियों के लिये पर्यावरण का संरक्षण करने हेतु मिलकर भागीरथी प्रयास करने की नितांत आवश्कता है। एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत जी ने कहा कि सबसे अच्छा डाॅक्टर है ’’वायु, रेनबो डाइट, व्यायाम, पर्याप्त नींद, सूर्य प्रकाश और स्वच्छ जल’’ इसके बिना मनुष्य स्वस्थ नहीं रह सकता और यह सब हमें प्रकृति और पर्यावरण से प्राप्त होते है अतः स्वस्थ रहने के लिये पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है।
एच डी एफ सी बैंक उत्तराखण्ड और उत्तरप्रदेश के प्रमुख संजीव कुमार जी ने कहा कि उत्तराखण्ड में 1 लाख पौधों का रोपण हमारे सीएसआर के तहत किया जा रहा है साथ ही हम लगभग 10 हजार परिवारों को लघु स्तर पर व्यापार के लिये सहयोग प्रदान करते है तथा सीएसआर के तहत गांवों के बच्चों को व्यवसायिक की प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सभी अतिथियों का स्वागत और वोट फाॅर थैंक्स करते हुये बैंक के अनुजराज मिश्र ने कहा कि ’हम आज प्रकृति के उल्लास के पर्व वसंत पंचमी के अवसर पर प्रकृति के संरक्षण हेतु वृक्षारोपण करने के लिये एकत्र हुये है। हमारा उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और उज्जवल भविष्य प्राप्त सकें। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने वहां उपस्थित सभी को एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प कराया। साथ ही विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। परमार्थ निकेतन द्वारा सभी विशिष्ट अतिथियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।
इस अवसर पर सरदार नरेंद्र जीत सिंह बिन्द्रा  प्रदीप मौर्य, गोविन्द अग्रवाल, अनिल मेहरोत्रा, इन्द्र प्रकाश अग्रवाल, विशन खन्ना, शेखर, अजय गुप्ता, मदन कोठारी,  मदन शर्मा, स्टेशन अधिक्षक आर के मीणा, एच. डी. एफ. सी. बैंक की ओर से गुरूमीत सिंह एवं अन्य अधिकारी, परमार्थ निकेतन के व्यवस्थापक राम अनन्त तिवारी, नन्दिनी त्रिपाठी, नरेन्द्र बिष्ट, वंदना शर्मा, आचार्य संदीप, आचार्य दीपक, अमित यादव, राकेश रोशन, मुकेश, उदय, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, परमार्थ परिवार के सदस्य, विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालु, स्थानीय अतिथिगण, रेलवे स्टेशन ऋषिकेश के अधिकारीगण, नगर निगम ऋषिकेश के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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