नैनीताल/देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। पहाड़ी क्षेत्र से बीमारी ग्रसित शिक्षकों की मैदानी क्षेत्र में स्थानांतरण पर लगी रोक को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सशर्त हटा दिया है। अब बीमार शिक्षक को मैदान में लाने के लिए पहले शिक्षक के स्थान पर नया शिक्षक नियुक्त करना होगा। शुक्रवार को यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने दिया। न्यायालय ने इसके साथ ही जून 2020 तक खाली पड़े शिक्षकों के पद भरने के भी निर्देश दिए हैं। सुनवाई के समय राज्य सरकार ने पूर्व के आदेश को संशोधन करते हुए पहाड़ से मैदानी क्षेत्र में स्थानांतरण में गंभीर रूप से बीमार शिक्षकों को छूट देने की दलील दी। इस मामले में पूर्व में एक जनहित याचिका पर सनुवाई के बाद न्यायालय ने पहाड़ से हरिद्वार, देहरादून या ऊधमसिंह नगर जिलों में पहाड़ में 70 प्रतिशत शिक्षकों के कार्यरत होने पर करने के निर्देश दिए थे। तब न्यायालय ने स्कूल एवं कालेजों में 24 माह के भीतर बायोमीट्रिक मशीन लगाने के भी निर्देश दिए थे। इस निर्देश की कड़ी में न्यायालय ने अध्यापकों की एक दिन में तीन बार उपस्थिति दर्ज करने के भी निर्देश दिए थे। इसमें सरकार को एक माह के भीतर वेबसाइट में मान्यता प्राप्त कोर्स एवं शिक्षण संस्थान की जानकारी लोड करने के निर्देश दिए थे। तब ये निर्देश देहरादून निवासी दौलतराम सेमवाल की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिए थे। याचिकाकर्ता का कहना था कि स्कूल व कालेजों में छह से सात घंटे की पढ़ाई तय है, लेकिन पढ़ाई नहीं कराई जाती है।