गोपेश्वर/देहरादून। सोशल मीडिया के जरिए शिक्षिका को सस्पेंड करने की कार्यवाही पर सवाल उठाने के साथ ही पीड़िता को बेगुनाह बताया गया है। इस अपील के वायरल होने के बाद शिक्षा मंत्री ने मामले की जांच के आदेश देने की बात कही है।
मामला चमोली जनपद के राजकीय प्राथमिक विद्यालय लंगासू की प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल को सस्पेंड का है, जिनको पिछले दिनों सस्पेंड कर दिया था। अब इस मामलें में नया मोड आ गया है। वामपंथी नेता ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर अपील के जरिये शिक्षिका को बेगुनाह बताया गया है। वामपंथी नेता इंद्रेश मैखुरी की ओर जारी फेसबुक और ट्वीटर पर जारी पोस्ट के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक शिक्षा) चमोली नरेश कुमार हल्दयानी के दावे गलत हैं। शिक्षा अधिकारी के अनुसार प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल ने अपने स्थान पर प्रतिनिधि अध्यापक नियुक्त किया हुआ था, जबकि यह दावा सरासर झूठा और बेबुनियाद है। प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक और हैं, लेकिन वह शशि कंडवाल द्वारा ठेके पर नहीं रखी गयी थीं, बल्कि इस एकल अध्यापक वाले विद्यालय की प्रबंध समिति ने उक्त शिक्षिका को तैनात किया था।
वामपंथी नेता इंद्रेश मैखुरी ने लिखा है कि घटना 14 नवंबर 2017 की है। जबकि मीडिया में इसकी चर्चा 16 नवम्बर को हुई। 14 नवम्बर को शशि कंडवाल अपने विद्यालय की दो विद्यार्थियों को कर्णप्रयाग मे भाषा-गणित विजार्ड प्रतियोगिता में प्रतिभाग करवाने हेतु ले कर गयी थीं। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी का यह बयान भी बेबुनियाद है कि उनके औचक निरीक्षण के वक्त प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल विद्यालय से गायब थीं। उन्होंने फेसबुक और ट्वीटर पर जारी पोस्ट के माध्यम से मांग उठाई कि एक अध्यापिका, जो अकेले ही प्राथमिक स्कूल का संचालन कर रही हैं, उनके खिलाफ इस तरह की दुराग्रहपूर्ण कार्यवाही क्यों की गयी। उन्होंने प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल के निलंबन का आदेश तत्काल रद्द करने की मांग भी उठाई है। इंद्रेश मैखुरी ने इसे ट्वीटर पर भी पोस्ट किया है। शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे ने उनके ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है सोशल मीडिया के माध्यम से राजकीय प्राथमिक विद्यालय, लंगासू में कार्यरत प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल के विषय में संज्ञान में आये प्रकरण की जाँच के आदेश दे दिए गए हैं, यदि किसी भी प्रकार की त्रुटि पायी जाएगी तो संलिप्त अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।