शोध के सटीक विश्लेषण व प्रमाणिकता सिद्व करने में SPSS साॅफटवेयर की महत्वपूर्णं भूमिका

SGRR विवि में PHD शोधार्थियों के लिए तीन दिवसीय वर्कशाप का आयोजन
देहरादून (गढ़वाल का विकास न्यूज)। देश विदेश के शोधार्थी अपने शोध का सटीक विश्लेषण जानने के लिए कम्प्यूटर साफटवेयर की मदद ले रहे हैं। नई-नई तकनीकों के बाज़ार में आ जाने के बाद शोधार्थिंयों के लिए अपनी शोध की आवश्यकता, समाज के लिए शोध की उपयोगिता व शोध के वास्तविक बिन्दुओं को जानना समझना सभी के लिए आसान हो गया है। यही कारण है कि माॅर्डन एरा में एक शोधार्थी को इन आधुनिक टूल्स में पारंगत होना चाहिए। यह बात SGRR विश्वविद्यालय में शोधार्थियों के लिए आयोजिन विशेष वर्कशाॅप में विशेषज्ञों ने कही। वर्कशाॅप में 123 पीएचडी शोधार्थियों ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने शोधार्थियों को कम्प्यूटर पर टेंनिग देकर साफटवेयर को इस्तेमाल करने की तकनीकों पक्षों की जानकारी दी।
बुधवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के पटेल नगर कैंपस के स्कूल आॅफ बेसिक एण्ड एप्लाइड सांइसेज़ के सभागार में एसपीएसएस साॅफटवेयर हेंडलिंग एण्ड रिसर्च एनालाइसिस विषय पर आयाजित तीन दिवसीय वर्कशाॅप में पीएचडी शोधार्थियों ने साॅफटवेयर की मदद से शोध की सार्थकता व उपयागिता की बारीकियों को सीखा। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने कहा कि शोधार्थियों के प्रति विश्वविद्यालय के चांसलर श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज का यह विज़न बेहद स्पष्ट हैं। वे चाहते हैं कि शोधार्थिंयों को हर तरीके की विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। शोधार्थियों के शोध कार्य व शोध परिणाम देश दुनिया में समाज कल्याण के लिए उपयोग साबित हों इसके लिए शोधार्थिंयों को हर सम्भव तकनीकी मदद उपलब्ध कराई जाए।
शोधार्थिंयों के लिए यह नितांत आवश्यक है कि वे अपने शोध कार्यों का सांख्यकी विश्लेषण सही प्रकार से करें व डाटा के शोध की उपयोगिता को सिद्व करने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करें। यदि सांख्यकी विश्लेषण में शोध की सार्थकता साबित हो जाती है, तो शोधार्थी के शोध की उपयोगिता को विश्व स्तर पर तथ्यों के साथ प्रमाणित किया जा सकता है।
डीन रिसर्च डाॅ अरुण कुमार ने कहा कि दुनिया भर में हो रहे शोध कार्यों में शोधार्थी नए नए तकनीकी प्रयोग कर रहे हैं। नई तकनीकें समय की मांग हैं व शोध कार्यों को समाज, देश व दुनिया के सामने तथ्यपूर्वक ढंग से प्रस्तुत में उपयोगी टूल का काम कर रहे हैं। शोधार्थी इन टूल्स को जान-समझकर अपने शोध कार्यों की उपयोगिता व गुणवत्ता को बहुउपयोगी बना सकते हैं व इनकी प्रमाणिकता में इजाफा कर सकते हैं। यह समाज हित के लिए भी एक बहुउपयोगी शोध यंत्र का काम करता है। संाख्यकीय टूल्स के विशषज्ञ प्रोफेसर पंकज चमोला ने शोधार्थियों को कई महत्वपूर्णं बिन्दुओं से रूबरू करवाया। वर्कशाॅप का संचालन डाॅ पूजा जैन ने किया। इस अवसर पर डाॅ प्रीति कोठियाल, डाॅ कुमुद सकलानी, डाॅ दीपक साहनी, डाॅ विपुल जैन, डाॅ कुणाल किशोर एवम् डाॅ दीपक सोम आदि मौजूद थे। तकनीक सहयोग अभिषेक, गणेश डबराल एवम् रमेश का विशेष सहयोग रहा।

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