देहरादून। ऐतिहासिक श्री झंडाजी मेला इस साल छह मार्च को शुरू होगा। मेले के सफल आयोजन को लेकर श्री दरबार साहिब मेला प्रबन्ध समिति ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। झण्डे जी मेले का साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से संगत दरबार साहिब पहुंचती हैं। हर साल की भांति इस वर्ष भी संगत के स्वागत के लिए दरबार साहिब मेला प्रबन्ध समिति ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में संगत को प्रसाद वितरण के लिए सादे मारकीन के गिलाफों को तैयार कर लिया गया है। धुलाई रंगाई के बाद गिलाफों को दरबार साहिब भेजने का सिलसिला शुरू हो गया है। गौरतलब है कि झंडे जी पर गिलाफ की तीन परतें चढ़ाई जाती हैं। सबसे अन्दर 41 मारकीन के सादे गिलाफ चढ़ाए जाते हैं। दूसरी परत में 21 शनील के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं। सबसे बाहर की ओर एक दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है। श्री दरबार साहिब की परंपरा के अनुसार झंडे जी मेले में शामिल होने के लिए आने वाली संगत को सादे मारकीन के गिलाफ पर प्रसाद बांधकर दिया जाता है।
डेरादीन से बना देहरादून
झंडे जी का इतिहास देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा है। गुरु रामराय का पदार्पण यहां सन 1679 में हुआ था। उन्होंने यहां की रमणीयता से मुग्ध होकर ऊंची-नीची धरती पर जो डेरा बनाया, उसी के अपभ्रंश स्वरूप इस जगह का नाम डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून हो गया। उन्होंने इस धरती को अपनी कर्मस्थली बनाया। गुरु महाराज ने दरबार में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा लगाकर लोगों को इसी ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया। इसी के साथ श्री झण्डा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हो गई।