संतुष्टता सर्व प्राप्ति स्वरूप : ब्रह्माकुमारी मंजू बहन

सूक्ष्म रूप की भरपूरता की निशानी है ’संतुष्टता’
देहरादून। संतुष्टता सर्व प्राप्ति स्वरूप है। हर विशेषता को धारण करने में सहज साधन है। संतुष्टता का खज़ाना सर्व खज़ानों को स्वतः ही अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह कहना है राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन का।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाष नगर देहरादून के सभागार में आयोजित सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन जीवन में संतुष्टता की महत्ता को स्पष्ट करते हुए बताया कि कलियुग के अंत और सतयुग के आदि के संधि काल का यह पुरूषोत्तम संगमयुग, पूरे कल्प में एक ही समय है, जब आत्माआंे का परमपिता परमात्मा शिव बाबा से साकार मिलन होता है। राजयोग द्वारा उनसे स्थूल व सूक्ष्म, सभी प्रकार की अविनाशी प्राप्तियाँ होती हैं। ज्ञान, पवित्रता, शांति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्तियों, गुणों, आदि के खज़ानों से झोली भरती है।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन का कहना था कि जब आत्मा सूक्ष्म रूप से भरपूर होती है, तब स्थूल प्राप्तियाँ स्वतः हो जाती हैं और सूक्ष्म रूप की भरपूरता की निशानी है ’संतुष्टता’। उन्होंने कहा कि संतुष्टता बेफ़िक्र बनाती है। संतुष्टता दानी-महादानी बनाती है। सर्व से दुआयें प्राप्त कराती है। संतुष्टता तेरे-मेरे के चक्र से मुक्त कराती है। संतुष्टता का खज़ाना सर्व खज़ानों को स्वतः ही अपनी तरफ आकर्षित करता है।
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू बहन ने कहा कि स्व से संतुष्ट, परिवार से संतुष्ट और परिवार आपसे संतुष्ट, किसी भी परिस्थिति में रहते हुये वायुमण्डल की हलचल से संतुष्ट- ये संतुष्टता का पुरूषार्थ है। ऐसी संतुष्ट स्वरूप आत्मा सदा विजयी रहती है। सदा सुखी रहती है। प्रसन्नचित्त रहती है। यही समय है जब हम अपनी संतुष्टता के स्तर को जाँच सकते हैं और यदि हमारी संतुष्टता में कमी है, तो परमात्मा के सत्य परिचय को जान, उनसे अपने सर्व संबंध जोड़, उनकी यथार्थ याद-प्यार से अपनी सब कमियों को दूर कर सकते हैं। इस अवसर पर ममता, पद्मा, कमला, पुष्पा, सोमेश्वरी, मानसी, पवन, टीटूराम, सुशील, आनंद, संजय, सतपाल, सतेंद्र, विजय आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।

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