देहरादून। सत्संग से मानव को विवेक प्राप्त होता है, जीवन जीने का ढंग आता है अतः हर किसी को सत्संग अवश्य करना चाहिए। उक्त उद्गार संत निरंकारी सत्संग भवन, रेस्टकैम्प में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ज्ञान प्रचारक राजीव बिजल्वाण ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि अध्यात्म में भक्ति मार्ग सर्वश्रेष्ठ, सुखदायी, आनन्दमयी और मुक्तिदायी है। भक्तिमय जीवन जीना ही मानव जीवन का लक्ष्य है। जब तक जीवन में भक्ति नही ंतब तक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता है। निष्काम भक्ति से ही जीवन सफल व सार्थक होता है। इस सर्वव्यापक निरंकार-प्रभु के अहसास में जीवन जीना ही सफल जीवन है। उठते, बैठते, सोते, जागते, विचरण करते हुए इस प्रभु-परमात्मा सर्वव्यापक निरंकार को दिल में बसाये हुए जीवन व्यतीत करना ही सही मायनों में भक्ति है। भक्ति के दो महत्वपूर्ण आयाम है, एक भक्त और दूसरा भगवान।
उन्होंने कहा कि भक्त के बारे में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने फरमाया कि ‘भक्त इस मालिक-खालिक को जानकर, इसी को समर्पित होकर, उठते-बैठते इसका अहसास करते हुए दुनिया की तमाम जिम्मेदारियों को निभाता है। जीव को मानव शरीर की प्राप्ति, परमात्मा की अनुभूति एवं जीवन मुक्त अवस्था में रहकर मोक्ष प्राप्ति के लिए हुई है।

आज सद्गुरु माता सविन्दर हरदेव जी महाराज इंसान को ब्रह्म का ज्ञान प्रदान कर सहज और आनन्द की अवस्था में स्थित कर रही हैं। वर्तमान में आवश्यकता इनके अमृत वचनों को हृदय से स्वीकार और आत्मसात करने की है। जो ऐसा कर पाता है वह सहज जीवन और स्वाभाविक मुक्ति का आनन्द प्राप्त करता है। समापन से पूर्व अनेकों संतों, भक्तों ने अपनी-अपनी भाषा का सहारा लेकर सत्संग को निहाल किया। मंच संचालन दयानन्द नौटियाल ने किया।