देहरादून। जब भी सद्गुरु का पर्दापण होता है तो सबसे पहले मानव के भ्रम-भ्रांतियों और बन्धनों को तोड़कर सत्य के दर्शन करवाता है। प्रभु के ज्ञान की प्राप्ति हो जाने के बाद तन, मन धन से सेवा, सत्संग और सुमिरण करके इस निरंकार प्रभु से जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। सतगुरु की सेवा से जीवन में प्रफुल्लता आती है। यह उद्गार संत निरंकारी भवन ब्रांच बाईपास पर रविवारीय सत्संग कार्यकम की अध्यक्षता करते हुए ज्ञान प्रचारक ललित मोहन भट्ट ने प्रकट किए। भक्ति के मर्म पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भक्त हमेशा निष्काम भाव से भक्ति करता है। निरोल प्रेम भाव से की गई भक्ति से भक्त संसार में रहकर नई ऊंचाइयां को छूने लगता है। भक्त तो हमेशा से ही निष्काम भाव से सेवा करता है। सेवा का महत्व सेवादार भक्त ही समझता है। वही जानता है कि भक्ति क्या है भक्त एक खिला हुआ फूल होता है और भक्ति उसकी महक हुआ करती है। भक्त हमेशा अर्पित भाव से जीवन व्यतीत करता है। इस निराकार परमात्मा के आगे सर्वस्व अर्पण कर देता है। सत्संग के बाद संयोजक कलम सिंह रावत बताया कि संत निरंकारी मिशन द्वारा 70वां वार्षिक संत समागम 18,19 व 20 नवम्बर को बुराड़ी रोड, दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। मंच संचालन सचिन पंवार ने किया।