देहरादून। भक्त संसार में रहते हुए निरलेप जीवन जीते हैं। जैसे मुर्बाबी, जल में रहती है लेकिन अपने पंखों को गीला नहीं होने देती। इसी प्रकार महापुरूष भी अपने जीवन का तार सदैव इस निरंकार दातार से जोड़े रखते हैं, संसार की किसी चीज को यहां तक कि अपने शरीर को भी अपना नहीं मानते, इसलिए यहां के सुख दुख का उन पर असर नहीं पड़ता है। इसी प्रकार के विचार रविवारीय सत्संग में संगत को संबोधित करते हुए संयोजक कलम सिंह रावत ने व्यक्त किये।
संसार में जन्म से लेकर भक्त भी यहीं विचरण करता है, अगर हवा चलती है तो उसे भी ठंठक देती है। अगर सूरज चढ़ता है उसकी गर्मी, तपक का उसके लिए भी यही असर है, जो और इंसानों के लिए हुआ करता है। उसमें कोई अंतर नहीं है। उसके लिए भी यही सृष्टि है। यही ंमाया है, यहीं पदार्थ है और यही मौसम है। निरंकार को हम महसूस करते हैं, वह हर क्षण हमारे साथ-साथ चलता हैं निरंकारी मिशन सत्य का ज्ञान दे रहा है, एकता का ज्ञान दे रहा है, भाईचारे का ज्ञान दे रहा है। हमें पल-पल इसका शुक्रिया अदा करना है।
सद्गुरू माता सविन्दर हरदेव सिंह जी महाराज की छ़त्रछाया में वार्षिक समागम की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। उन्होंने कहा कि सेवा जो भी करें मन से करें, पवित्रता के साथ करें। सेवा का फल हमेशा फलदायक होता है। जिसका फल जन्मों जन्म तक मिलता है। इसलिए सेवा अवश्य करें। इसलिए निराकार पारब्रह्म के ज्ञान को अपने मन मस्तिष्क में धारण करें।
उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान के बाद सिमरन और सिमरन के साथ-साथ ध्यान परमात्मा से अटूट सम्बन्ध जरूरी है। भक्तों की केवल रसना या जबान ही इसका नाम नहीं लेती वास्तव में उनका नाता इस हीरे के साथ जुड़ा होता हैं। ये केवल प्रभु का नाम ही उच्चारण नहीं करते, उनके हृदय का नाता भी प्रभु से जुड़ा होता है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों सन्तों, भक्तों ने गीतों, प्रवचनों से संगत को निहाल किया। मंच संचालन बहन सुमित्रा रमोला ने किया।