देहरादून। संत निरंकारी मंडल की ओर से रविवारीय सत्संग में प्रवचन करते हुए ज्ञान प्रचारक जसराम थपलियाल ने कहा कि सत्गुरु की अपार कृपा से ही सत्य का संग यानी कि सत्संग मिलता है। जब सत्गुरु की अपार कृपा होती है तो इस सत्संग रूपी ब्रह्मसभा में बैठने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मज्ञानी तो निरंकार के साथ जुड़ा होता है, उसने अपने सर्वस्व निरंकार दातार को अर्पण किया होता है। इसलिए वह जो भी कर्म करता है, ईरीय इच्छा को पूरा करने के लिए करता है। इसलिए ब्रह्मज्ञानी के कर्म भी सबका भला करने वाले ही होते है, कल्याणकारी ही होते है। उन्होंने कहा कि ज्ञान को सुनने, देखने अर कहने से भी ज्यादा जरूरत उसे कर्म में उतारने की होती है। ब्रह्यज्ञानी भक्तों के जीवन में ज्ञान और कर्म की विशेषता रहती है। मंच संचालन सुनील कुमार ने किया।