देहरादून। पूर्व CM हरीश रावत ने कहा कि BJP के अपने विधायकों को अपनी विचारधारा में दीक्षित करने के कार्यक्रम में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। यही नहीं गोडसे के पक्ष में पच्रे बांटे गए। उन्होंने कहा कि यह स्थापित करने की कोशिश की गई कि गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या इसलिए की क्योंकि तब ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी गई थीं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड के भाजपा विधायकों के लिए आयोजित कार्यक्रम में पलायन, बेरोजगारी पर कोई बात नहीं हुई। बाड़ाहोती में चीनी सैनिक घुस आये, उस पर बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि संघ विधायकों के गले में अपने विचार ठूंस रहा है। उसका पूरा कार्यक्रम गोडसे को समर्पित रहा। हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिकता भारत छोड़ो के नारे पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह नारा तब तक हास्यास्पद है जब तक कि भाजपा व संघ परिवार अपने सांप्रदायिक ब्रांडों को बंद नहीं करती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व संघ परिवार अपने सभी अपकृत्यों के लिए सार्वजनिक खेद व्यक्त नहीं करते।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र व भाजपा की राज्य सरकारों के इतिहास के पुनर्लेखन की निंदा करते हुए कहा कि देश की नई पीढ़ी को देश के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास गलत रूप में पेश करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हाल में देश के 100 महापुरु षों की सूची जारी की जिसमें महात्मा गांधी व पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम नहीं है। आलम यह है कि सांप्रदायिक सोच के ध्वजवाहकों को स्वामी विवेकानंद के समकक्ष रखा जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि देश की जनता ने भाजपा को इस बात का जनादेश दिया कि आगे क्या होना चाहिए न कि देश के इतिहास के विरुपण का। अगर इतिहास का विरुपण हुआ तो देश के वे सभी लोग आवाज उठाएं, संघर्ष करेंगे जो स्वतंत्र विचार रखते हैं। उन्होंने कहा कि वे इस बात से आहत हैं कि गांधी और नेहरू के राष्ट्र निर्माण के योगदान को एक नकार कर संघ प्रचारकों के नाम महापुरुषों में शामिल किए जा रहे हैं। बता दें कि हाल में ही राजस्थान की भाजपा सरकार ने भी स्कूलों में यह इतिहास पढ़ाना शुरू कर दिया है कि महाराणा प्रताप ने अकबर को हरा दिया था।