अनुशासनहीनता नही हैं पदोन्नति छोडना: प्रकाश

पदोन्नति छोडने वाले किसी कर्मचारी/ शिक्षक को अनुशासनहीन घोषित करना या उसकी वरिष्ठता छीनने के लिए आप नियमावली अवश्य बना सकतें है लेकिन उन परिस्थितियों का कभी अध्ययन नही करेगें कि कोई शिक्षक पदोन्नति पर क्यों नही जाना चाह रहा है!जो अधिकारी इस नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं उनके लिए तो ‘टाइम बॉड प्रमोशन’ का प्रावधान है लेकिन एक शिक्षक की पदोन्नति के लिए जो व्यवस्था है क्या सरकार/ विभाग उसको कभी पूरा करती है?
– शिक्षा विभाग मे एलटी से प्रवक्ता पदोन्नति मे 25 से 30 साल (कुछ विषयों को छोडकर) लग जाते हैं, कुछ मामलों मे ये पदोन्नतियां तब होती है जब कोई शिक्षक पदोन्नत पद से ऊपर का वेतनमान लेना भी शुरू कर देता है तो फिर उसको पदोन्नति का क्या फायदा है! कुछ मामलों मे पदोन्नतियां होने से शिक्षकों को आर्थिक लाभ के बजाय आर्थिक हानि होती है क्योंकि हमारे विभाग मे वेतन भुगतान के ऐसे ऐसे प्रावधान है कि वे न केवल अव्यवहारिक है बल्कि सामान्य समझ के भी बाहर है कि ऐसे वेतन नियम आखिर क्यों बनाये गए हैं?
– स्थानांतरण की प्रक्रिया ऐसी है कि एक व्यक्ति वर्षों तक दुर्गम स्कूलों मे कार्यरत होता है कुछ समय अगर वो वहां से सुगम मे स्थानांतरण होता भी है तो वह क्यों ऐसी पदोन्नति को ज्वाइन करेगा जो वापस उसकों उन्ही परिस्थितियों मे डालने वाली है जबकि बहुत सारे लोग वर्षों से मैदानी जनपदों के सुगम स्कूलों मे डंटे हुए होते हैं! प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नति होने पर पदस्थापन अपने मूल जनपद के बजाय वाहय जनपदों मे दी जा रही है अब भला 58/59 आयु मे कोई क्यों सुदूर दूसरे जनपदों मे जाना चाहेगा! व्यवहारिक तो यही था कि इन पदो पर पदस्थापना अपने ही जनपदों मे दी जाती!
– विभाग मे प्रधानाध्यापक के लगभग 500 से ऊपर पद रिक्त है प्रधानाचार्यों के लगभग 1100 पद रिक्त है इन पदों हेतु हजारों शिक्षक निर्धारित आहर्ता को बहुत पहले ही पूरी कर चुके हैं लेकिन विभाग इन पदो पर पदोन्नति न करने पर कायम है! यही हाल प्रवक्ता पदो का भी है..
विभाग अनुशासनहीनता के लिए कोई नियमावली अवश्य बनाये लेकिन पहले शिक्षकों के लिए भी टाइम बॉड पदोन्नति की व्यवस्था करे! पदोन्नति से होने वाले आर्थिक हानि के बजाय आर्थिक लाभ की व्यवस्था सुनिश्चित करे! जो दुर्मम क्षेत्रों मे अपनी सेवा कर चुके हैं उन्हें पदोन्नति पर सुगम स्कूलों का आंवटन हो! प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य पदोन्नति मे गृह जनपद मे पदस्थापना हो! शिक्षा विभाग मे पदोन्नति के अवसरों की सीमितता को देखते हुए शिक्षकों को भी एसीपी का लाभ मिले.. ऐसी कोई भी नियमावली बनने से पहले विभाग एक टास्क फोर्स का गठन करे जो उन परिस्थितियों का अध्ययन करे कि कोई भी शिक्षक पदोन्नति पर क्यों नही जाना चाहता है…
पदोन्नति कार्मिकों मे नई ऊर्जा का संचरण है ये योग्यता एंव अनुभव का पदसोपान के उच्च स्तर पर स्तरोन्नयन है लेकिन जब कार्य संस्कृति बोझिल एंव दीर्घगामी हो तो ऐसी पदोन्नतिया़ं कार्मिकों मे नेराश्य का भाव पैदा करती है..
प्रकाश सिंह चौहान
राइका कर्णप्रयाग चमोली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *