आत्मा की आजादी निरंकार-प्रभु के साथ जुड़कर ही सम्भव : नेगी

देहरादून। संत निरंकारी मण्डल के सत्संग कार्यक्रम में नरेन्द्र नगर से पधारे कल्याण सिंह नेगी ने कहा कि हमें संसार में रहते हुये भौतिक रूप में सभी आजादी तो मिल गई, क्या हमें हमारी आत्मा को भी आजादी मिली है या नही? आत्मा को आजादी सिर्फ निरंकार-प्रभु-परमात्मा-ईश्वर का ज्ञान लेकर निरंकार से जुड़ने से मिलती है।
संत निरंकारी मण्डल के तत्वावधान में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम में कल्याण सिंह नेगी ने श्रद्धालु भक्तों को सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज का पावन सन्देश देते हुये कहा कि एक बार जब इसके साथ हम जुड़ जाते है और हमको लगता है कि हम सभी एक पिता की सन्तानें है तो हमारे अन्दर और बाहर एक निरंकार परमात्मा है। आत्मा को आजादी ब्रह्मज्ञान से ही मिल सकती है। उन्होने कहा कि परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने के उपरान्त सद्गुरू संसार में जीवन जीने की कला सिखाता है सब विद्याओं में श्रेष्ठ ब्रह्मविद्या प्रदान करता है। सद्गुरू शरीर में अवश्य होता है लेकिन सद्गुरू ज्ञान है शरीर नही। मानव रूप में प्रकट सद्गुरू का स्वरूप प्रेम से भरा हुआ और मनमोहक होता है। सद्गुरू जब घट परिवर्तित करता है तब इसके गुरसिख अवाक् रह जाते है लेकिन शींघ्र ही यह अपने भक्तों को अपने परिवर्तित रूप के माध्यम से धीरज बंधाकर सहज अवस्था में खड़ा कर देता है। सद्गुरू का सगुण रूप नारी-पुरूष से ऊपर होता है इसलिए इसे “तू ही माता, तू ही पिता,“ कहा गया है।
उन्होने कहा कि अध्यात्म के क्षे़त्र में सद्गुरू की कृपा और मार्गदर्शन से मंजिल की प्राप्ति का विश्वास जाग्रत होता है। इससे पूर्व जीवन में गति तो होती है लेकिन दिशा और लक्ष्य का अभाव व्यक्ति को मंजिल से दूर ही रखता है। हम सद्गुरू पर विश्वास ला पांए तभी परमात्मा पर विश्वास सुदृढ़ होगा और हमारा जीवन सार्थक और सफल बन पाएगा तभी हम सफल जीवन व्यतीत कर सकेंगे। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों प्रभु-प्रेमियों, भाई-बहनों एवं नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीतों एवं प्रवचनों के माध्यम से निरंकारी माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपाओं का व्याख्यान कर संगत को निहाल किया। मंच का संचालन विनोद धीमान ने किया।

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