देहरादून। यह संसार एक प्रभु परमात्मा की रचना है। यह निराकार रूप में सभी में व्याप्त है। हर कण, सजीव-निर्जीव सभी में इसका वास है, इसलिए गुरू ने हम सभी को परमात्मा का रूप समझकर प्रेम करने की सीख दी है। गुरू सिख का धर्म ही है कि वह अपने गुरू के वचनों का पालन करे। वह तभी गुरूसिख कहलाता है। साथ ही इंसान से प्रेम करने वाला ही सही मायने में इंसान कहलाता है। यह कहना है ज्ञान प्रचारक प्रकाश सिंह (उदासी) का।
संत निरंकारी मंडल के तत्वाधान में निरंकारी सत्संग भवन रेस्टकैम्प में आयोजित रविवारीय संत समागम में लखनऊ से पधारे ज्ञान प्रचारक प्रकाश सिंह (उदासी) ने कहा कि जब सद्गुरू से ज्ञान प्राप्त होता है, तभी इस मानव जीवन का मोल होता है। संत महात्माओं के दर्शन से ही सुख मिलते है। प्रभु की कृपा से सारे संशय खत्म होते है। मनुष्य योनि में यदि निराकार दर्शन नहीं हुए, तो पुनः जन्म-मरण के चक्कर में जाना होगा। उनका साफ कहना था कि गुरू के अतिरिक्त कोई अन्य इस जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति नहीं दिला सकता। निराकार के प्रति हमारी जिज्ञासा होनी जरूरी है, क्योंकि जब हमे इसकी जिज्ञासा नहीं होगी, तब तक हमें इसका मोल समझ नहीं आयेगा। केवल सद्गुरू ही ब्रहमज्ञान प्रदान कर इस निराकार के दर्शन करा सकता है। सत्संग समापन से पूर्व अनेकों संतो-भक्तों ने गीतों, प्रवचनों के द्वारा संगत को निहाल किया।