देहरादून। शिक्षकों की फर्जी डिग्रियों को लेकर चल रही एसआईटी जांच में ऐसे सात शिक्षकों के नाम सामने आए हैं जो फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहे थे। इनमें छह शिक्षकों की बीटीसी की डिग्री फर्जी निकली जबकि एक का स्थाई निवास प्रमाण पत्र फर्जी है। एसआईटी ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर इनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही के लिए लिखा है।एएसपी सीबीसीआईडी श्वेता चौबे ने बताया कि प्राथमिक जांच में सात शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। इनमें समर पाल राजकीय प्राथमिक विद्यालय सितारगंज में तैनात है। उसकी वर्ष 1990 में बीटीसी की डिग्री बनी है और वह 1997 से नियुक्ति है। वृंदावन सहायक अध्यापक के पद पर खटीमा में तैनात है। उसकी वर्ष 1987 की बीटीसी डिग्री बनी है और 1992 में नियुक्ति मिली है। आनंद स्वरूप राजकीय प्राथमिक विद्यालय शक्तिफार्म सितारगंज में तैनात है। उसकी बीटीसी की डिग्री 1989 की है और उसे 1997 में नियुक्ति मिली है। शूरवीर सिंह प्रधान अध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालय बाजपुर में तैनात है। उसकी बीटीसी की डिग्री 1991 की है और उसे 1996 में नियुक्ति मिली है। राम कुमार सहायक अध्यापक खटीमा ब्लाक में तैनात है। उसे वर्ष 1987 की बीटीसी की डिग्री के आधार पर 1992 में नियुक्ति हासिल की है। कुमकुम भटनागर प्रधान अध्यापक बादशाहपुर, बहादराबाद में तैनात है। उसने 1984 में बीटीसी की डिग्री के आधार पर 1995 में नियुक्ति हासिल की है। सुशील कुमार राजकीय प्राथमिक विद्यालय खनंजा लक्सर में तैनात है। सुशील का स्थाई निवास प्रमाण पत्र फर्जी निकला है और उसे 2009 में नियुक्ति दी गई है। एएसपी ेता चौबे ने बताया है कि कई फर्जी शिक्षकों के बारे में जांच जारी है। जल्द कुछ और फर्जी शिक्षकों के नाम सामने आने की संभावना है।