देहरादून। जी हां यह सच है। किसी अन्य मामलें में पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड भले ही नम्बर वन न बना हो, लेकिन हड़ताली प्रदेश बनने की उपलब्धि जरूर हासिल कर ली है। देशभर में उत्तराखंड नम्बर वन हड़ताली प्रदेश बन गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी हालिया आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न प्रकार के विरोध प्रदर्शनों की संख्या में उत्तराखंड देश में सबसे आगे है। उसके बाद तमिलनाडु और फिर पंजाब का नम्बर है।
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में उत्तराखंड में 22 हजार विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद तमिलनाडु में 20,500 और फिर पंजाब में 11876 प्रदर्शन दर्ज किए गए। जानकारों का कहना है कि ये आंकड़े तो केवल वे हैं जो कि पुलिस रिपोर्ट करती है। इन प्रदर्शनों में अधिकांश प्रदर्शन सरकारी कर्मचारियों के थे जिसके बाद राजनीतिक दलों के प्रदर्शन थे। प्रदर्शन करने वालों में बेरोजगार, संविदा कर्मचारी, आशा वर्कर, किसान, मजदूर और यहां तक कि छात्र भी शामिल थे। इन प्रदर्शनों की खास बात यह भी रही कि प्रदर्शनकारियों ने अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए तरह तरह के नए तौर तरीके मसलन ऊंची पानी की टंकियों में या पेड़ टावर में चढ़ जाना, यहां तक कि पेट्रोल व जहर लेकर प्रदर्शन तक किए।
गौरतलब है कि आम नागरिकों की हड़तालों से ही पैदा हुआ उत्तराखंड अपनी स्थापना के समय से ही लगातार हड़तालें झेल रहा है। अब तक के हड़ताल या प्रदर्शन के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि अगर चुनाव तो उस साल प्रदेश में हड़तालों की बाढ़ आ जाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी वजह यह होती है कि शासन या प्रशासन लोगों को समस्याओं पर शुरुआत में ही ध्यान नहीं देता और उसे टालने की कोशिश करता रहता है। नतीजतन लोगों को हड़ताल का हथियार इस्तेमाल करना पड़ता है।