आप भले विश्वास न करे, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। देश में एक ऐसा गांव भी है, जहां कई पीढ़ियो से तम्बाकू और सिगरेट वर्जित है। इस गांव की दुकानों पर इनकी बिक्री होना तो दूर, यहां आने वाले अतिथि भी इनका सेवन नहीं कर सकते है।
हम बात कर रहे है हरियाणा में राजस्थान के बार्डर पर स्थित टीकला गांव की। ये गांव वाकई में आदर्श है और वर्तमान समय में अनोखा भी है, क्योंकि इस गांव में रहने वाले एक भी शख्स ने कई पीढ़ियों से बीड़ी, सिगरेट, शराब और पान या पान मसाले को खाना तो दूर हाथ तक नहीं लगाया। खास बात यह है कि इस गांव में ना सिर्फ गांववासी, बल्कि उनके यहां बाहर से आने वाले अतिथि भी इन वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकते हैं। इस गांव की दुकानों पर इस तरह की किसी सामग्री की बिक्री नहीं होती।
हरियाणा में राजस्थान के बार्डर पर स्थित टीकला नामक इस आदर्श गांव की कुल आबादी १५०० के करीब है। इस गांव के लोग अपने घर आने वाले रिश्तेदारों को भी पान तंबाकू के सेवन की इजाजत नहीं देते, जिसको लेकर यह गांव हरियाणा में ही नहीं राजस्थान और दिल्ली तक तंबाकू मुक्त गांव के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए है। इस गांव में बाबा भगवानदास का मंदिर और समाधि बनी हुई है। मान्यता है कि धूम्रपान और नशे से बचने की ये परंपरा उन्होंने ही शुरू की थी।
चलन से बड़ी परंपरा: इस गांव को जाट बाहुल्य गांव के रूप में देखा जाता है, जहां जहां तंबाकू वाला हुक्का पीने का चलन काफी पुराना है, इसके बावजूद इस गांव के किसी व्यक्ति को हुक्का गुड़गुड़ाने की आदत नहीं है। गांव के बुजुर्गों की बातों पर यदि विश्वास किया जाए तो ये परंपरा १९४७ के आसपास शुरू हुई थी, जब एक स्थानीय गुरूद्वारे के प्रमुख ने गांव वालों को इन व्यसनों से दूर रहने के लिए कहा था, जबकि कुछ इसे ९० साल से भी पुरानी परंपरा मानते हैं। बहरहाल अब ये परंपरा एक आदत और जागरुकता का बेहतरीन अभियान बन चुकी है और लोगों के सामने एक मिसाल कायम किये हुए है।