इस मंदिर में पुजारी को भी देवता के दर्शन की इजाजत नहीं

साल में खुलता है एक दिन मंदिर, पुजारी आंख में पट्टी बांध करते है पूजा
देहरादून। आप भले इस बात पर विश्वास न करे, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। एक ऐसा मंदिर भी भारत में है, जहां पुजारी को देवता के दर्शन करने की इजाजत नहीं है। आश्चर्य जनक बात यह है कि साल में केवल एक दिन खुलने वाले इस मंदिर में पुजारी उस दिन भी आंखो में पट्टी बांधकर पूजा करते है।
हम जिस ऐतिहासिक मंदिर की बात कर रहे है वह देवभूमि उत्तराखंड के जनपद चमोली के दूरस्थ गांव वाण में है। यह हिमालय की आराध्य देवी मां नंदा (पार्वती) के धर्मभाई लाटू का मंदिर है। समुद्र तल से करीब 8500 फीट की ऊंचाई पर एक बड़े देवदार के पेड़ के नीचे इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर साक्षात नागराज अपनी औलोकिक मणि के साथ विराजमान हैं। यही कारण है कि मंदिर के अंदर से दर्शन करने की इजाजत किसी को नहीं है। इस मंदिर में पुजारी को भी देवता के दर्शन करने की इजाजत नहीं है।
जानकारों का कहना है कि वर्ष में एक बार बैशाख मास की पूर्णिमा के मौके पर मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। उस दिन भी पुजारी अपनी आंख, नाक और कान को पट्टी से ढ़ककर मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर के भीतर श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति भले ही न होती हो लेकिन बाहर से दर्शनों के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होने वाले हिमालयी महाकुंभ नंदा देवी राज जात का 12वां पड़ाव वाण गांवव में होता है। वाण से लेकर अंतिम पड़ाव होमकुंड तक लाटू ही मां नंदा की आगवानी करते हैं।

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